जबलपुर । सरकार ने अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों पर होने वाले अत्याचार रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं .इस कानून में सजा का प्रावधान तो है ही, साथ ही इसमें पीड़ित को पैसा देने का भी प्रावधान है. लेकिन सरकार की कमजोर वित्तीय हालत के कारण बहुत सी पीड़ित महिलाओं को ये पैसा नहीं मिल रहा है.
जबलपुर में बीते साल SC-ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार के 266 मामले आए. इनमें 3 करोड़ 30 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई . लेकिन अब तक सिर्फ 62 लोगों को 81 लाख रुपए ही दिए गए हैं. अभी भी अनुसूचित जाति के 261 लोगों को बीते 1 साल से ये भुगतान नहीं किया गया है . लगभग दो करोड़ 75 लाख की राशि अभी तक पीड़ितों को नहीं मिल पाई है. इसी तरह ST वर्ग के पीड़ितों के बीते 1 साल में 96 उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं. इसमें लगभग एक करोड़ 14 लाख रुपए पीड़ितों को दिए जाने हैं. लेकिन अब तक सिर्फ 40 लोगों को 60 लाख रुपयों का ही भुगतान हो पाया है.
सिर्फ 3% मामलों में हो पाती है सजा
कानून में SC-ST वर्ग के लोगों को राहत देने का प्रावधान है. उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाती है. लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. कुछ जानकार कहते हैं कि कई बार केस झूठे भी होते हैं . विभागीय सूत्रों का कहना है कि सिर्फ 3% मामलों में ही लोगों को सजा मिलती है. बाकी 75% लोग पैसे लेकर समझौता कर देते हैं . कुछ लोगों ने तो इसे धंधा ही बना लिया है.
पैसा दिलवाने के नाम पर सौदा!
पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया का आरोप है कि इन मामलों में बहुत ज्यादा पैसे का लेन देन होता है. इसलिए जिला कार्यालयों में बकायदा इस पैसे के दलाल घूमने लगे हैं . जो बलात्कार जैसे संगीन मामलों में पीड़ित महिलाओं को पैसा दिलवाने के नाम पर सौदा करते हैं