जबलपुर। जिले में मकर संक्रांति के मौके पर तिलवारा घाट और ग्वारीघाट में भरेगा मेला लाखों लोग नर्मदा में डुबकी लगायेंगे. पवित्र नदियों में स्नान करने की सदियों पुरानी परंपरा है जबलपुर में भी मकर संक्रांति के मौके पर नर्मदा नदी के तटों पर स्नान किया जाता है.
मकर संक्रांति के मौके पर हजारों लोग तिलवारा घाट में आकर स्नान करते हैं तिलवारा घाट के बारे में कहा जाता है कि ये नर्मदा का उस समय का घाट है, जब भगवान राम हुए थे. उस समय जबलपुर में जवाली ऋषि रहा करते थे और उन्होंने ही तिलवारा में तिलभांडेश्वर नाम के एक शिवलिंग की स्थापना की थी और इन्हीं शिवलिंग के नाम से तिलवारा का नाम पड़ा. मकर संक्रांति के मौके पर तिलवारा घाट पर एक मेले का आयोजन में किया जाता है. जबलपुर ही नहीं आसपास की नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, दमोह, कटनी जैसे जिले से लोग नर्मदा के तिलवारा घाट और ग्वारीघाट में स्नान करने के लिए आते हैं सदियों पुरानी है परंपरा आज भी जारी है.
मकर संक्रांति पर सूर्य अपनी दिशा बदलता है इसकी वजह से ऋतु परिवर्तन होता है और मकर संक्रांति के साथ ही तिल-तिल गर्मी बढ़ने लगती है. ऐसा माना जाता है कि इस संक्रमण काल में यदि किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाकर स्नान किया जाता है तो शरीर बीमारियों से बचा रहता है. इसलिए मकर संक्रांति पर भारत भर में करोड़ों लोग पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए चाहेंगे और जबलपुर में घाटों पर पैर रखने की जगह नहीं मिल पाएगी.
नदियों पर भरने वाला ये मेला धार्मिक महत्व के साथ ही आर्थिक महत्व के भी होते हैं. किसी जमाने में लोग इन्हीं मेलों में अपने साल भर का सामान खरीदते बेचते थे और इन्हीं मेलों में मनोरंजन के साधन हुआ करते थे, भारत में आज भी मकर संक्रांति पर लाखों मेले लगते हैं लेकिन अब इनका महत्व आर्थिक की वजह धार्मिक ही रह गया है.