जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के साउथ ब्लॉक सभागार में मंगलवार को छ: नव नियुक्त (high court gets 6 new judges) न्यायाधीशों को शपथ दिलाई गई. शपथ मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने ग्रहण कराई. इन जजों में जबलपुर के मनिंदर सिंह भट्टी, ग्वालियर के द्वारकाधीश बंसल, इंदौर के मिलिंद रमेश फड़के के अलावा उज्जैन जिला जज प्रकाश चंद्र गुप्ता, इंदौर जिला जज दिनेश कुमार पालीवाल व बालाघाट के जिला जज अमरनाथ केसरवानी शामिल रहे. इस दौरान जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर के सभी न्यायाधीश मौजूद रहे. हाईकोर्ट में अब तक 29 जज पदस्थ थे. छह नए जजों के पदभार संभालने के साथ ही जजों की कुल संख्या बढ़कर 35 हो गई है हालांकि अभी भी कुल स्वीकृत 53 पदों के मुकाबले 18 जजों की कमी है. बावजूद इसके उम्मीद जताई जा रही है कि यह कमी आने वाले दिनों में पूरी कर ली जाएगी, जिससे लंबित मामलों के निराकरण में तेजी आएगी.
IFS अधिकारी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
मप्र हाईकोर्ट ने भारतीय वन सेवा के तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक व पदेन वन संरक्षक के खिलाफ की गई शिकायत को गंभीरता से लिया है. वन संरक्षक मोहन मीणा पर आर्थिक अनियमित्ताओं के आरोप हैं. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई पर भोपाल लोकायुक्त को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में इस मामले में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
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यह जनहित याचिका सागर मकरोनिया निवासी पत्रकार प्रदीप कुमार जैन ने दाखिल की है. जिसमें आरोप है कि मोहन मीणा भारतीय वन सेवा के तत्कालीन अपर ,प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं पदेन वन संरक्षक बैतूल के द्वारा अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में कई आर्थिक अनियमितताएं की गई है. आरोप है कि आईएफएस मोहन मीणा द्वारा अपने क्षेत्र के वन भूमि पर संचालित शासकीय योजनाओं में आर्थिक अनियमित्ताओं के साथ ही बिना अधिकार के अपने विभाग के कर्मचारियों का स्थानांतरण किया. अधीनस्थ कर्मचारियों का निलंबन, विभागीय जांच जैसी स्थितियों में राशि की मांग भी की गई है. मोहन मीणा के खिलाफ लोकायुक्त भोपाल को कई शिकायतें की गई, लेकिन लोकायुक्त भोपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है.
कोर्ट ने आवेदक पर लगाई 25 हजार की कॉस्ट
तबादले से जुड़े एक मामले में गलत जानकारी पेश करने के मामले को हाईकोर्ट ने काफी सख्ती दिखाई है. जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने उक्त मामले में नाराजगी व्यक्त जताते हुए आवेदक की ओर से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया. कोर्ट ने जानकारी को गुमराह करने वाला और कोर्ट का समय बर्बाद करने वाला बताते हुए आवेदक पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए दायर याचिका खारिज कर दी. एकलपीठ ने उक्त राशि 15 दिनों के अंदर स्वाधार शेल्टर होम के नाम पर जमा करने के आदेश दिये हैं.
मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी अंक घोटाला मामला
मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुए अंक घोटाले व आर्थिक अनियमितताओं के लिए गठित जांच कमेटी ने अपनी अंतरित रिपोर्ट पेश की. जिसमें ठेकेदार कंपनी द्वारा पूर्ण डाटा उपलब्ध नहीं कराए जाने की जानकारी दी गई. मंगलवार को याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ को ठेकेदार माइंड लॉजिक कंपनी की तरफ से बताया गया कि उन्होने पूरा डाटा जांच कमेटी को उपलब्ध करवा दिया है. डाटा उपलब्ध करवाने से संबंध में कमेटी के सदस्य द्वारा भेजे गये ई-मेल की प्रति भी युगलपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई. इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 फरवरी को निर्धारित की है.