जबलपुर। लेपर्ड स्टेट में लेपर्ड का सबसे ज्यादा शिकार हो रहा है. रणथंभौर नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सर्वे रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. जबलपुर की एक संस्था ने आरटीआई के जरिए मिली ये जानकारी सार्वजनिक की है.
लेपर्ड स्टेट में सेफ नहीं लेपर्ड
बीते दिनों मध्य प्रदेश को लेपर्ड स्टेट का दर्जा मिला था. मध्यप्रदेश में तेंदुए की तादाद 2000 से ज्यादा हो गई थी. यह मध्यप्रदेश के लिए खुशी की बात थी. लेकिन अब जो जानकारी आ रही है वह चौंकाने वाली है. मध्य प्रदेश में ही तेंदुए का सबसे ज्यादा शिकार हो रहा है .
कहां-कहां हुआ लेपर्ड का शिकार ?
बीते 10 सालों में मध्यप्रदेश में 405 तेंदुए की मौत हुई है. इसमें 200 की मौत से शिकार की वजह से हुई. इसमें पन्ना टाइगर रिजर्व में 21, कान्हा टाइगर रिजर्व में 15, पेंच टाइगर रिजर्व में 13, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 12, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 10, बालाघाट वन मंडल में 20, छिंदवाड़ा वन मंडल में 18, कटनी में 15, शिवनी में 13 ,शहडोल में 12 ,पन्ना में 10, अब्दुल्लागंज और नरसिंहपुर में नौ, होशंगाबाद सिहोरा और शिवपुरी में सात, ग्वालियर में छह, मंडला में छह, जबलपुर में पांच तेंदुए की मौत हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर तेंदुए शिकारियों के हाथों मारे गए हैं.
तेंदुए का गोली मारकर शिकार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा
कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी संस्था
समाज सेवी संस्था का दावा है कि इन जानवरों का शिकार उनकी खाल और हड्डी से बनने वाले दवा के लिए किया जाता है. इसलिए इनके संरक्षण की योजना सरकार को बनानी चाहिए. सरकार ऐसा नहीं करती है ,तो समाज सेवी संस्था इस मामले में कोर्ट का सहारा लेगी.