जबलपुर। बदलते समय के साथ सब कुछ बदलता चला गया. एक समय था, जब महिलाओं का प्रसव घर पर ही हो जाता था. तब महिलाओं को कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होती थी. केवल दाई ही महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी कर देती थी और महिलाएं भी प्रसव पीड़ा को सह लेती थीं. अब ऐसा नहीं है. महिलाओं को प्रसव कराने के लिए अस्पताल का रुख करना ही होता है, ताकि महिलाओं को बेहतर उपचार मिल सके. निजी अस्पताल में नॉर्मल प्रसव में ही 20 से 30 हजार रुपये लग जाते हैं. अगर वहीं ऑपरेशन से डिलीवरी हुई तो 50 हजार रुपये खर्च होने में समय नहीं लगता. निजी अस्पतालों में प्रसव को लेकर बढ़ती लूट को देखकर लोग सरकारी अस्पतालों का रुख करते हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों की जिम्मेवारी और बढ़ जाती है.
'सुरक्षित मातृत्व आश्वासन'
संभाग का सबसे बड़े लेडी एल्गिन (रानी दुर्गावती) अस्पताल में "सुरक्षित मातृत्व आश्वासन" स्लोगन लिखा है. यह स्लोगन इस हॉस्पिटल की जिम्मेदारी को और बढ़ा देता है. अस्प्ताल में रोजाना 30 से 40 प्रसव हो रहे हैं. खास बात यह है कि लेडी एल्गिन अस्प्ताल में महिलाओं को वो सुविधाएं मिल रही हैं जो निजी अस्पताल में हजारों रुपये खर्च करने के बाद मिलती हैं. अस्पताल में महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी करने की कोशिश की जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहे.
बेहतर से बेहतर ईलाज देने की कोशिश
संध्या पाटकर बताती हैं कि उनके पास इतने रुपये थे कि वह आराम से निजी अस्पताल में अपनी बेटी का प्रसव करा सकती थीं. इसके बावजूद उन्होंने राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुविधा पर भरोसा किया और सरकारी अस्पताल में अपनी बेटी की डिलीवरी करायी. इसी तरह अमित ठाकुर का भी मानना है कि लेडी एल्गिन अस्प्ताल एक बेहतर अस्प्ताल है. यहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं.
खतरों से खेल रहे अस्प्ताल के कर्मचारी
कोरोना काल के इस दौर में जब इस भयंकर महामारी से हर कोई बचना चाहता है. उस समय यहां पदस्थ लेडी स्टाफ की नर्सें अपनी जान जोखिम में डालकर महिलाओं का सिर्फ प्रसव करवा रही हैं. इस दौरान स्टाफ खुद को कोरोना से बचाने का भी प्रयास करती हैं. हालांकि कई स्टाफ नर्स कोरोना पॉजिटिव भी हुईं हैं. वर्तमान में एल्गिन अस्प्ताल में पदस्थ करीब आधा स्टाफ पॉजिटिव है. लेडी एल्गिन अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स निशा चंदेल का कहना है कि कोरोना काल में ड्यूटी करना खतरे से खाली नहीं है. बावजूद इसके वह अपना फर्ज बखूबी निभा रही हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में अस्पताल में स्टाफ की काफी कमी आई है. कुछ स्टाफ नर्स और डॉक्टर पॉजिटिव पाए गए हैं.
एंबुलेंस में ही हुआ महिला का प्रसव, मां और बच्चा दोनों सुरक्षित
हर माह होती हैं 1200 डिलीवरी
रानी दुर्गावती लेडी एल्गिन अस्पताल जबलपुर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है. इस अस्पताल में हर माह करीब 1200 महिलाओं की डिलीवरी होती है. कभी-कभी तो यह आंकड़ा 1500 के पार पहुंच जाता है. कोरोना संक्रमण काल मे एल्गिन अस्पताल में महिलाओं के प्रसव की संख्या भी बढ़ गई है. दरअसल, कोविड के समय में कुछ अस्पताल ही प्रसव संबंधित सुविधाएं दे रहे हैं और उनके चार्ज बहुत ज्यादा है. जिसके चलते महिलाओं की डिलीवरी की संख्या सरकारी अस्पताल में बढ़ गई है.
महिलाओं के लिए बना है अलग वार्ड
जबलपुर जिले के प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए लेडी एल्गिन अस्पताल में एक अलग से सस्पेक्टेड वार्ड बनाया गया है. इस वार्ड में कोई भी महिला, जिसे सर्दी-बुखार के लक्षण होते हैं और नौ माह की उसकी गर्भावस्था हो चुकी होती है, तो उसे सस्पेक्टेड वार्ड में रखा जाता है. इसके बाद उसका टेस्ट कराया जाता है. अगर वह पॉजिटिव आती है तो शासन के निर्देशानुसार उसे मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है. इसके अलावा सस्पेक्टेड महिलाओं के प्रसव के लिए ऑपरेशन थिएटर भी अस्पताल में अलग बनाया गया है.