जबलपुर। रामायण के गूढ़ रहस्यों पर मंथन करने देशभर के अध्यात्म और धर्म के ज्ञाता जबलपुर में एकत्रित हुए हैं. शहर के मानस भवन में आयोजित तीसरी वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस के पहले दिन वक्ताओं ने रामायण पर आधारित अपने प्रेरक और आध्यात्मिक वक्तव्य से हर किसी को भक्ति भाव से सराबोर कर दिया(Jabalpur world ramayana conference organized). ब्रह्मर्षि बावरा मिशन की रजत जयंती वर्ष के मौके पर आयोजित वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में देश-विदेश की कई हस्तियां शामिल हुईं. गणेश वंदना और शबद कीर्तन से कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई. पहले सेशन में रामायण के वैश्विक प्रभाव पर शोध करने वालों ने व्याख्यान दिया.
कई देशों से रामायण पर चर्चा करने आए विद्वान: श्रीलंका के संस्कृति मंत्री रीविदुरा विक्रमनायके और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि, "राम के नाम के चित्र के साथ ही पवित्रता भी उभर आती. भगवान राम दुनिया में अद्भुत भगवान हैं. दुनिया के सभी कोनों में भगवान राम की पूजा होती है. सभी धर्म और नास्तिक भगवान राम से जुड़े हैं. भगवान राम का चरित्र वैश्विक है. राम शब्द का अर्थ संस्कृत के धर्म से आता है. सामाजिक यात्रा में भगवान राम का अहम संदेश है. समाज में धर्म की स्थापना तब तक नहीं हो सकती, जब तक अंतिम व्यक्ति को सम्मान नहीं मिल जाता." भगवान राम और निषाद राज के संबंधों के हवाले से सुधांशु त्रिवेदी ने भगवान राम के मंदिर निर्माण और देश की आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संयोग का भी जिक्र किया. उन्होंने कांग्रेस पर इशारों ही इशारों में निशाना भी साधा. उन्होंने कहा, कांग्रेस राम मंदिर बनने की तारीख नहीं बताती थी, लेकिन अब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है. कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा, भगवान राम को श्रीलंका सरकार ने वास्तविक बताया था जबकि भारत सरकार ने उस समय उन्हें काल्पनिक करार दिया था.
रामायण कॉन्फ्रेंस में लगी भव्य प्रदर्शनी: रामायण कांफ्रेंस मानस भवन में चल रहा है. इसमें सीता की अयोध्या की भव्य प्रदर्शनी लगाई गई है. आकर्षक तस्वीरों में भगवान राम सीता और अयोध्या की प्रसंगों को चित्रों के जरिए प्रस्तुत किया गया. रामायण कॉन्फ्रेंस में पहुंचे अतिथियों ने भी सीता की अयोध्या की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसकी जमकर सराहना की. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के द्वारा लगाई गई इस प्रदर्शनी में मूर्तियों और चित्रों के जरिए रामायण के रहस्य और महत्व से आम लोगों को परिचित कराने की कोशिश की गई.
कई बिंदुओं पर होगी बात: दरअसल रामायण कॉन्फ्रेंस इससे पहले साल 2016 और 2020 में आयोजित किया गया था, लेकिन इस बार तीसरे कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर के विद्वानों को आमंत्रित किया गया. जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया के साथ ही श्रीलंका और अन्य देशों से भी रामायण के शोधार्थी शामिल हुए. आयोजकों के मुताबिक यह कॉन्फ्रेंस विश्व का सबसे बड़ा कॉन्फ्रेंस है, क्योंकि इसमें एकेडमिक साहित्यिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं का समावेश किया गया है. इस कांफ्रेंस के जरिए इंडो थाईलैंड रामायण फोरम के गठन के साथ ही इंडो श्रीलंका रामायण सर्किट विकसित करने पर भी चर्चा की जाएगी(Jabalpur brahmarshi bawra mission silver jubilee).