जबलपुर। सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्टाफ की लापरवाही की वजह से एक नवजात को गलत ब्लड ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया. नवजात की तबीयत लगातार बिगड़ने के बाद बच्चे को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां अस्पताल की लापरवाही का खुलासा हुआ. पीड़ित पिता अपने बच्चे की जान बचाने के लिए दरबदर की ठोकर खा रहा है. जबलपुर के स्वास्थ्य संचालक ने लापरवाही की जांच के आदेश दिए हैं.
नवजात के पिता श्रीकांत ने बताया कि वह बंदर कोला गांव का रहने वाला है और 31 मई को जबलपुर के सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल आए थे. जहां उन्होंने अपने बच्चे को भर्ती किया था. 7 जून को जब बच्चे की स्थिति बिगड़ी तो डॉक्टरों ने उसे बताया कि बच्चे की हालत बिगड़ रही है और उसे ब्लड चढ़ाना पड़ेगा. इसके लिए उसे ए पॉजिटिव ब्लड लाने के लिए कहा गया. श्रीकांत ने 7 जून को ए पॉजिटिव ब्लड उपलब्ध करवाकर बच्चे को छुड़वा दिया लेकिन इसके बाद भी जब बच्चे की हालत नहीं सुधरी तो उसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के लिए ट्रांसफर किया गया.
ऐसे हुई लापरवाही: यहां श्रीकांत को एक बार फिर ब्लड उपलब्ध करवाने के लिए डॉक्टरों ने एक पर्ची दी, जिसमें ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव लिखा हुआ था. इस पर्ची को देखकर श्रीकांत की हालत खराब हो गई हालांकि श्रीकांत बहुत पढ़ा लिखा नहीं है लेकिन उसे इतनी सामान्य जानकारी थी कि गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने पर समस्या हो सकती है. उसने खून की मांग करने वाले डॉक्टर से कहा कि इसके पहले उसके बच्चे को ए पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया है तब दोबारा से डॉक्टरों ने बच्चे की बर्थ फाइल देखी उसमें बच्चे का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव ही लिखा हुआ था. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने नवजात शिशु को गलत ब्लड ग्रुप चढ़ा दिया जिसकी वजह से उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है. अब तक 27 दिन हो चुके हैं और बच्चा गंभीर हालत में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती है.
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लापरवाही पर जांच शुरु: इस गंभीर लापरवाही की शिकायत जबलपुर के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. संजय मिश्रा से की गई है. संयुक्त संचालक का कहना है कि सामान्य तौर पर ऐसी गलतियां नहीं होती लेकिन यह बड़ी गलती है और वह इसकी जांच करवाएंगे कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई. फिलहाल नवजात पीड़ित बच्चा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती है और उसे एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप उपलब्ध करवा दिया गया है लेकिन अब तक इसके शरीर में गलत ब्लड ग्रुप पर जाने की वजह से जो समस्याएं खड़ी हुई हैं उनका निदान कैसे होगा यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है. मेडिकल कॉलेज की ओर से डॉक्टर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. जांच के बाद ही पता लगेगा कि आखिर गलती कहां और किससे हुई.