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Jabalpur News: जबलपुर में स्मार्ट सिटी के कामों पर प्रश्नचिन्ह, महापौर ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

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Published : Apr 12, 2023, 11:00 PM IST

जबलपुर स्मार्ट सिटी के लगभग 960 करोड़ के कामों पर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह ने प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है. महापौर जगत बहादुर सिंह ने कहा कि स्मार्ट सिटी के कामों को बिना जांच के हैंडओवर नहीं लिया जाएगा

Jabalpur News
जबलपुर में स्मार्ट सिटी के कामों पर प्रश्नचिन्ह
जबलपुर में स्मार्ट सिटी के कामों पर प्रश्नचिन्ह

जबलपुर। नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह ने घोषणा की है कि अब जबलपुर स्मार्ट सिटी के कामों को बिना जांच के हैंडओवर नहीं लिया जाएगा. इसकी वजह से जबलपुर में लगभग 960 करोड़ के कामों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. बता दें कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जबलपुर में 960 करोड़ के निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इसमें जबलपुर के स्टेडियम को लगभग डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है. जबलपुर के गोल बाजार क्षेत्र में 36 करोड़ रुपये के काम किए जा रहे हैं. अधारताल इलाके में 26 करोड़ रुपये की एक सड़क बनाई जा रही है.

रानीताल तालाब की निर्माणाधीन दीवार का कार्य नहीं हुआ पूराः बीते दिनों रानीताल तालाब की एक निर्माणाधीन दीवार का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ था, जब टूटी हुई दीवार को जांचा गया तो इसमें बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया. ठेकेदार ने दीवार में न तो पर्याप्त लोहा लगाया था और न ही पर्याप्त सीमेंट. जिसके कारण 10 फीट ऊंची दीवार ताश के पत्तों की तरह गिर गई. दरअसल स्मार्ट सिटी एक निर्माण एजेंसी है और यह निर्माण करने के बाद साइट को नगर निगम को सौंप देता है, लेकिन इस घटना के बाद अब नगर निगम के महापौर ने तय किया है कि वह कोई भी निर्माण कार्य तब तक हैंडओवर नहीं लेंगे, जब तक कि उसकी गुणवत्ता की पूरी जांच की पुष्टि नगर निगम न कर ले.

मोदी सरकार के आने के बाद शुरू किया था स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टः मोदी सरकार के आने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इसमें पहले जो निर्माण कार्य नगर निगमों के माध्यम से होते थे. उन्हें स्मार्ट सिटी करवा रही है और स्मार्ट सिटी के पास नगर निगम के बराबर ही बजट आता है. स्मार्ट सिटी के जरिए मोदी सरकार ने शहरों की ब्रांडेड और कई निर्माण कार्य किए, लेकिन इनमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और पैसे की बर्बादी भी हुई है. समस्या यह है कि स्मार्ट सिटी में नगर निगम का कोई भी दखल नहीं है और नगर निगम का कोई भी चुनाव हुआ जनप्रतिनिधि स्मार्ट सिटी के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जबकि यह संपत्ति नगर निगम की ही होती है. इसलिए नगर निगम सप्ताह अपने सामने पैसे की बर्बादी होते हुए देखती है, लेकिन कुछ कर नहीं पाती.

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गुणवत्ता के सवालों पर होगी जांचः स्मार्ट सिटी के सीईओ चंद्र प्रताप गोहिल ने कहा कि स्मार्ट सिटी एक निर्माण एजेंसी है और यह निर्माण करने के बाद साइट को नगर निगम को सौंप देता है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे और गुणवत्ता पर जहां भी सवाल खड़े हो रहे हैं उन मामलों को जांचा जाएगा.

जबलपुर में स्मार्ट सिटी के कामों पर प्रश्नचिन्ह

जबलपुर। नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह ने घोषणा की है कि अब जबलपुर स्मार्ट सिटी के कामों को बिना जांच के हैंडओवर नहीं लिया जाएगा. इसकी वजह से जबलपुर में लगभग 960 करोड़ के कामों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. बता दें कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जबलपुर में 960 करोड़ के निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इसमें जबलपुर के स्टेडियम को लगभग डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है. जबलपुर के गोल बाजार क्षेत्र में 36 करोड़ रुपये के काम किए जा रहे हैं. अधारताल इलाके में 26 करोड़ रुपये की एक सड़क बनाई जा रही है.

रानीताल तालाब की निर्माणाधीन दीवार का कार्य नहीं हुआ पूराः बीते दिनों रानीताल तालाब की एक निर्माणाधीन दीवार का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ था, जब टूटी हुई दीवार को जांचा गया तो इसमें बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया. ठेकेदार ने दीवार में न तो पर्याप्त लोहा लगाया था और न ही पर्याप्त सीमेंट. जिसके कारण 10 फीट ऊंची दीवार ताश के पत्तों की तरह गिर गई. दरअसल स्मार्ट सिटी एक निर्माण एजेंसी है और यह निर्माण करने के बाद साइट को नगर निगम को सौंप देता है, लेकिन इस घटना के बाद अब नगर निगम के महापौर ने तय किया है कि वह कोई भी निर्माण कार्य तब तक हैंडओवर नहीं लेंगे, जब तक कि उसकी गुणवत्ता की पूरी जांच की पुष्टि नगर निगम न कर ले.

मोदी सरकार के आने के बाद शुरू किया था स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टः मोदी सरकार के आने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इसमें पहले जो निर्माण कार्य नगर निगमों के माध्यम से होते थे. उन्हें स्मार्ट सिटी करवा रही है और स्मार्ट सिटी के पास नगर निगम के बराबर ही बजट आता है. स्मार्ट सिटी के जरिए मोदी सरकार ने शहरों की ब्रांडेड और कई निर्माण कार्य किए, लेकिन इनमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और पैसे की बर्बादी भी हुई है. समस्या यह है कि स्मार्ट सिटी में नगर निगम का कोई भी दखल नहीं है और नगर निगम का कोई भी चुनाव हुआ जनप्रतिनिधि स्मार्ट सिटी के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जबकि यह संपत्ति नगर निगम की ही होती है. इसलिए नगर निगम सप्ताह अपने सामने पैसे की बर्बादी होते हुए देखती है, लेकिन कुछ कर नहीं पाती.

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गुणवत्ता के सवालों पर होगी जांचः स्मार्ट सिटी के सीईओ चंद्र प्रताप गोहिल ने कहा कि स्मार्ट सिटी एक निर्माण एजेंसी है और यह निर्माण करने के बाद साइट को नगर निगम को सौंप देता है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे और गुणवत्ता पर जहां भी सवाल खड़े हो रहे हैं उन मामलों को जांचा जाएगा.

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