जबलपुर। जबलपुर की सर्वोदय बस्ती के अन्ना मोहल्ला में रहने वाली पद्मा डेनियल जबलपुर की बेहद गरीब बस्ती की बड़ी सामान्य सी महिला हैं. लेकिन उनके अंदर इतना गुस्सा है कि वे सरकार द्वारा बनाई हुई एक शराब दुकान को आग लगाने की बात कर रही हैं. पद्मा डेनियल का गुस्सा इस पूरे मोहल्ले के गुस्से की एक झलक है. दरअसल, इस मोहल्ले में बीते कुछ साल में शराब पीने की वजह से ढाई सौ लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें कुछ तो बेहद कम उम्र के बच्चे और युवा शामिल हैं. सरकार ने अपने थोड़े से राजस्व के लिए एक गली में शराब की दुकान खोल दी.
50 महिलाएं लगा चुकी हैं गुहार : बीते 1 साल से पद्मा डेनियल और इनकी जैसी लगभग 50 महिलाएं सरकार से लगातार गुहार कर रही हैं कि दुकान को हटा लीजिए. लेकिन सरकार सुन नहीं रही. पद्मा का कहना है अन्ना बस्ती में लोगों के पास कोई रोजगार नहीं है. अन्ना बस्ती के ज्यादातर लोग आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. ये 40 साल पहले जबलपुर आ गए थे. तब से वे जबलपुर में साफ-सफाई का काम कर रहे हैं. इसके अलावा लोगों के पास दूसरा कोई रोजगार का जरिया नहीं है. इन लोगों की तादाद 10 हजार से ज्यादा है. पद्मा का कहना है कि यदि घर का कामकाजी पुरुष शराब की लत में डूब गया तो उस परिवार की कमर टूट जाती है. महिलाओं के पास रोजगार का कोई दूसरा जरिया नहीं है. ऐसी स्थिति में भूखों मरने की नौबत आ जाती है. महिलाओं का कहना है कि सरकार यदि कुछ नहीं कर सकती है तो कम से कम इन सरकारी दुकानों को बंद करवा दें.
नई शराब नीति का मखौल : मध्यप्रदेश की शराब नीति में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि किसी धार्मिक स्थल के ठीक बाजू में शराब दुकान नहीं होनी चाहिए. जबलपुर के रानीताल चौक पर मात्र 100 मीटर की दूरी में दो शराब दुकान हैं. यह भी अन्ना बस्ती के ठीक बाजू में है. एक दुकान हनुमान मंदिर के बाजू में है और दूसरी दुकान मस्जिद के बाजू में है. सबसे आपत्तिजनक बात यह है कि इन दोनों के ठीक सामने भारतीय जनता पार्टी का भव्य कार्यालय है. यहां दिनभर शराबी धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं. इस लापरवाही को हम यह भी नहीं कह सकते इसकी जानकारी किसी को नहीं है क्योंकि दिनभर शहर के जिम्मेदार नेता और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी यहां चक्कर लगाते रहते हैं.
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शराब दुकान हटाने के लिए 50 आवेदन : अन्ना बस्ती की इन शराब दुकानों को हटाने के लिए इस मोहल्ले के लोगों ने जिला प्रशासन को 50 बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन शराब दुकान नहीं हटाई गई. अब शराब दुकान की जगह बदलने की बात कही जा रही है लेकिन उसमें सिर्फ इतना परिवर्तन है. एक कोने से हटाकर बस्ती के दूसरे कोने पर शराब दुकान को शिफ्ट किया जा रहा है. दूसरे तरफ के लोग भी शराब दुकान के घर के सामने आने की चिंता से परेशान हैं.