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Jabalpur perfume: खुशबू के दीवानों का महंगा शौक, 1 लाख रुपए तक में बिक रहा खास किस्म का इत्र

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Published : Apr 23, 2023, 8:14 AM IST

Updated : Apr 23, 2023, 9:44 AM IST

गल्फ देशों के साथ-साथ भारत में भी इत्र का ट्रेंड बढ़ रहा है, खासकर मध्य प्रदेश के जबलपुर में. गर्मी के कारण पसीने की दुर्गंध से बचने के लिए इत्र का इस्तेमाल जरूरी है. जबलपुर में एक खास किस्म के इत्र की मांग बढ़ी हुई है. खस की जड़ों से बना हुआ यह इत्र ₹1 लाख प्रति किलो तक बिकता है.

perfume demand in jabalpur
खुशबू के दीवानों का महंगा शौक
इंदौर में इत्र की डिमांड

जबलपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही खुशबुओं का कारोबार भी बढ़ जाता है. डियो और परफ्यूम के इस जमाने में लोग इत्र को खूब पसंद कर रहे हैं. भीनी खुशबू वाले इत्र किसे पसंद नहीं होता. जबलपुर में इत्र का कारोबार करने वाले श्रीकांत मिश्रा एक खास किस्म के इत्र की महक शहर में फैला रहे हैं. उसके पास खस की जड़ों से बना इत्र मौजूद है, जो ₹1 लाख प्रति किलो तक बिकता है. यह इत्र कन्नौज में बनाया जाता है. बता दें कि कन्नौज इत्र बनाने और देश दुनिया में सप्लाई का केन्द्र है.

मुस्लिम और इत्र: मुस्लिम धर्मावलंबी इत्र को पाक और रूहानी मानते हैं. इसलिए जब भी वे खुदा की इबादत करने के लिए जाते हैं तो इत्र जरूर लगाते हैं. जबलपुर में इत्र का कारोबार करने वाले श्रीकांत मिश्रा बताते हैं कि ''मुस्लिम समाज के त्योहारों के दौरान इत्र के खरीददार बढ़ जाते हैं और इसे कुछ लोग चादर में इत्र लगाकर चढ़ाते हैं. उनकी कोशिश होती है कि उनके पूर्वजों के लिए महंगे से महंगा इत्र वे चादर में लगाकर चढ़ा सकें. कुछ लोग शौकिया इत्र लगाते हैं. शौक में भी मुस्लिम समाज के लोग परफ्यूम की जगह इत्र लगाना ज्यादा पसंद करते हैं और महंगे से महंगा इत्र खरीदते हैं.''

हिंदुओं में पूजा का सामान: हिंदुओं में भी पूजा के दौरान इत्र का प्रयोग किया जाता है और भगवान के श्रृंगार के बाद उन्हें इत्र चढ़ाया जाता है. लेकिन सामान्य तौर पर पहले हिंदू लोग बहुत महंगा इत्र पूजा के लिए इस्तेमाल नहीं करते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे चलन बदल रहा है और अब लोग महंगा इत्र भगवान को समर्पित करते हैं और बीते कुछ दिनों से इसकी मांग बड़ी हुई नजर आ रही है, क्योंकि लोगों में पूजा पाठ करने का चलन कुछ बड़ा है.

खस और गर्मी: भारत में इत्र कन्नौज में ही बनाए जाते हैं. कन्नौज में कई किस्म के इत्र बनाए जाते हैं और यही पर खस का इत्र भी बनाया जाता है. गर्मी में खस के इत्र की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. खस एक घास होती है, इसकी जड़ में खुशबू होती है, जिसे कन्नौज में पारंपरिक तरीके से वाष्पीकरण करके सैंडल के तेल में उतारा जाता है. इसकी खुशबू ठंडक का अहसास देती है, इसलिए इसकी मांग गर्मी के महीने में ही ज्यादा होती है.

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6 लाख रुपए तक में बिक रहा इत्र: कुछ इत्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें गर्मी के मौसम में नहीं लगाया जाता, क्योंकि इन की तासीर गर्म होती है. श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि '' एक जमाने में इत्र के जरिए रोगों का इलाज भी किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा लुप्त होती चली गई. इत्र भारत की धरती से पूरी दुनिया में जाता है और गुलाब के कुछ इत्र ऐसे भी होते हैं जिनकी कीमत ₹6 लाख रुपए प्रति किलो तक होती है. भारत के बने इतरों की खुशबू से पूरी दुनिया में महक फैलती है. खुशबू के दीवानों की वजह से हजारों लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिलता है, लेकिन सिंथेटिक किस्म की रसायनों की खुशबू की वजह से इत्र का कारोबार पर असर पड़ रहा है और अब कुछ खास लोग ही इत्र लगाते हैं. आजकल के युवा इत्र लगाना पसंद नहीं करते.''

इंदौर में इत्र की डिमांड

जबलपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही खुशबुओं का कारोबार भी बढ़ जाता है. डियो और परफ्यूम के इस जमाने में लोग इत्र को खूब पसंद कर रहे हैं. भीनी खुशबू वाले इत्र किसे पसंद नहीं होता. जबलपुर में इत्र का कारोबार करने वाले श्रीकांत मिश्रा एक खास किस्म के इत्र की महक शहर में फैला रहे हैं. उसके पास खस की जड़ों से बना इत्र मौजूद है, जो ₹1 लाख प्रति किलो तक बिकता है. यह इत्र कन्नौज में बनाया जाता है. बता दें कि कन्नौज इत्र बनाने और देश दुनिया में सप्लाई का केन्द्र है.

मुस्लिम और इत्र: मुस्लिम धर्मावलंबी इत्र को पाक और रूहानी मानते हैं. इसलिए जब भी वे खुदा की इबादत करने के लिए जाते हैं तो इत्र जरूर लगाते हैं. जबलपुर में इत्र का कारोबार करने वाले श्रीकांत मिश्रा बताते हैं कि ''मुस्लिम समाज के त्योहारों के दौरान इत्र के खरीददार बढ़ जाते हैं और इसे कुछ लोग चादर में इत्र लगाकर चढ़ाते हैं. उनकी कोशिश होती है कि उनके पूर्वजों के लिए महंगे से महंगा इत्र वे चादर में लगाकर चढ़ा सकें. कुछ लोग शौकिया इत्र लगाते हैं. शौक में भी मुस्लिम समाज के लोग परफ्यूम की जगह इत्र लगाना ज्यादा पसंद करते हैं और महंगे से महंगा इत्र खरीदते हैं.''

हिंदुओं में पूजा का सामान: हिंदुओं में भी पूजा के दौरान इत्र का प्रयोग किया जाता है और भगवान के श्रृंगार के बाद उन्हें इत्र चढ़ाया जाता है. लेकिन सामान्य तौर पर पहले हिंदू लोग बहुत महंगा इत्र पूजा के लिए इस्तेमाल नहीं करते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे चलन बदल रहा है और अब लोग महंगा इत्र भगवान को समर्पित करते हैं और बीते कुछ दिनों से इसकी मांग बड़ी हुई नजर आ रही है, क्योंकि लोगों में पूजा पाठ करने का चलन कुछ बड़ा है.

खस और गर्मी: भारत में इत्र कन्नौज में ही बनाए जाते हैं. कन्नौज में कई किस्म के इत्र बनाए जाते हैं और यही पर खस का इत्र भी बनाया जाता है. गर्मी में खस के इत्र की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. खस एक घास होती है, इसकी जड़ में खुशबू होती है, जिसे कन्नौज में पारंपरिक तरीके से वाष्पीकरण करके सैंडल के तेल में उतारा जाता है. इसकी खुशबू ठंडक का अहसास देती है, इसलिए इसकी मांग गर्मी के महीने में ही ज्यादा होती है.

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6 लाख रुपए तक में बिक रहा इत्र: कुछ इत्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें गर्मी के मौसम में नहीं लगाया जाता, क्योंकि इन की तासीर गर्म होती है. श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि '' एक जमाने में इत्र के जरिए रोगों का इलाज भी किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा लुप्त होती चली गई. इत्र भारत की धरती से पूरी दुनिया में जाता है और गुलाब के कुछ इत्र ऐसे भी होते हैं जिनकी कीमत ₹6 लाख रुपए प्रति किलो तक होती है. भारत के बने इतरों की खुशबू से पूरी दुनिया में महक फैलती है. खुशबू के दीवानों की वजह से हजारों लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिलता है, लेकिन सिंथेटिक किस्म की रसायनों की खुशबू की वजह से इत्र का कारोबार पर असर पड़ रहा है और अब कुछ खास लोग ही इत्र लगाते हैं. आजकल के युवा इत्र लगाना पसंद नहीं करते.''

Last Updated : Apr 23, 2023, 9:44 AM IST
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