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जाति प्रमाण पत्र का मामला नहीं है जनहित का मुद्दा, याचिका खारिज - जाति प्रमाण पत्र

जबलपुर हाईकोर्ट ने मंडला शिक्षा कार्यालय में पदस्थ निर्देशक सुनीता बर्वे के जाति प्रमाण पत्र को कटघरे में रखने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है.

jabalpur high court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Jun 13, 2021, 10:22 PM IST

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने मंडला शिक्षा कार्यालय में पदस्थ निर्देशक सुनीता बर्वे के जाति प्रमाण पत्र को कटघरे में रखने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस मो. रफीक की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले की सुनवाई जनहित के रूप में नहीं की जा सकती है. युगलपीठ ने इसके साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता के पास दूसरे कानूनी विकल्प खुले हैं, जिस पर वह अपनी आपत्ति पेश कर सकता है.

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उल्लेखनीय है कि यह जनहित याचिका मंडला निवासी पत्रकार मुकेश श्रीवास की ओर से दायर किया गया था, जिसमें मंडला शिक्षा कार्यालय में निर्देशक के पद पर पदस्थ सुनीता बर्वे के जाति प्रमाणपत्र को कटघरे में रखा गया था. आवेदक का दावा था कि जाति प्रमाण पत्र वास्तविक नहीं है और न ही उसे सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया है. मामले में आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों सहित मंडला कलेक्टर, एसपी सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया था. सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने मत के साथ दायर याचिका खारिज कर दी.

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने मंडला शिक्षा कार्यालय में पदस्थ निर्देशक सुनीता बर्वे के जाति प्रमाण पत्र को कटघरे में रखने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस मो. रफीक की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले की सुनवाई जनहित के रूप में नहीं की जा सकती है. युगलपीठ ने इसके साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता के पास दूसरे कानूनी विकल्प खुले हैं, जिस पर वह अपनी आपत्ति पेश कर सकता है.

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