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हजारों निवेशकों के अरबों रुपए डूबे, घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग, HC में याचिका दायर

एक कंपनी ने हजारों लोगों के साथ करोड़ों की ठगी की. लेकिन कंपनी ने शिकायतकर्ता से समझौता कर लिया. कंपनी के खिलाफ एफआईआर वापस ले ली गई. अब इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की हाईकोर्ट से मांग की गई है.

high court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Oct 4, 2021, 9:56 PM IST

जबलपुर। हजारों निवेशकों के साथ हुई ठगी के मामलें की निष्पक्ष जांच एजेंसी से करवाये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था, कि पुलिस में शिकातय करने वाले निवेशकों से समझौता के आधार पर धेखाधड़ी करने वाले को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करवा ली है. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस विशाल घगट की युगलपीठ ने संबंधित सोसाइटी के संबंध में जानकारी पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 8 नवम्बर को निर्धारित की है.

अरबों रुपए का घोटाला!

भोपाल निवासी सौरभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था, कि श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी का स्थानीय कार्यालय भोपाल में था. को-ऑपरेटिव सोसायटी में उसने एफडीआर के रूप में निवेश किया था. को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा उसके सहित हजारों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर उनकी रकम हजम कर ली . जिसके खिलाफ उसने थाना पिपलानी में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पुलिस ने सिर्फ 15 शिकायतकर्ता की रिपोर्ट पर को-ऑपरेक्टिव सोसायटी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही की थी. उनकी शिकायत पर निवेशकों के संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही नहीं की गयी. कंपनी ने पूरे देश में चार लाख निवेकशों के साथ धोखाधड़ी की है.

हाईकोर्ट में याचिका दायर

याचिका में कहा गया था कि एफआईआर दर्ज करवाने वाले से कंपनी ने समझौता कर लिया. समझौते के आधार पर दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. समझौता होने पर हाईकोर्ट ने दर्ज एफआईआर निरस्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका में कहा गया था कि हजारों निवेशकों के साथ कम समय में रकम दुगनी करने के नाम पर ठगी की है. एफआईआर निरस्त होने के कारण लगभग 1000 हजार करोड़ रूपये का निवेश समाप्त हो गया है. याचिका में मांग की गयी थी कि पूरे प्रकरण की जांच निष्पक्ष एजेंसी या सीबीआई को सौंपी जाये. याचिका में डीजीपी,प्रमुख सचिव गृह विभाग, पुलिस अधीक्षक भोपाल, को-ऑपरेटिव सोसायटी व उनके पदाधिकारियों सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया था. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि सोसाइटी और उसके कार्यालय के संबंध में जानकारी एकत्र कर रहे हैं. सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए आदेश जारी किये.

जबलपुर। हजारों निवेशकों के साथ हुई ठगी के मामलें की निष्पक्ष जांच एजेंसी से करवाये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था, कि पुलिस में शिकातय करने वाले निवेशकों से समझौता के आधार पर धेखाधड़ी करने वाले को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करवा ली है. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस विशाल घगट की युगलपीठ ने संबंधित सोसाइटी के संबंध में जानकारी पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 8 नवम्बर को निर्धारित की है.

अरबों रुपए का घोटाला!

भोपाल निवासी सौरभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था, कि श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी का स्थानीय कार्यालय भोपाल में था. को-ऑपरेटिव सोसायटी में उसने एफडीआर के रूप में निवेश किया था. को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा उसके सहित हजारों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर उनकी रकम हजम कर ली . जिसके खिलाफ उसने थाना पिपलानी में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पुलिस ने सिर्फ 15 शिकायतकर्ता की रिपोर्ट पर को-ऑपरेक्टिव सोसायटी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही की थी. उनकी शिकायत पर निवेशकों के संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही नहीं की गयी. कंपनी ने पूरे देश में चार लाख निवेकशों के साथ धोखाधड़ी की है.

हाईकोर्ट में याचिका दायर

याचिका में कहा गया था कि एफआईआर दर्ज करवाने वाले से कंपनी ने समझौता कर लिया. समझौते के आधार पर दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. समझौता होने पर हाईकोर्ट ने दर्ज एफआईआर निरस्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका में कहा गया था कि हजारों निवेशकों के साथ कम समय में रकम दुगनी करने के नाम पर ठगी की है. एफआईआर निरस्त होने के कारण लगभग 1000 हजार करोड़ रूपये का निवेश समाप्त हो गया है. याचिका में मांग की गयी थी कि पूरे प्रकरण की जांच निष्पक्ष एजेंसी या सीबीआई को सौंपी जाये. याचिका में डीजीपी,प्रमुख सचिव गृह विभाग, पुलिस अधीक्षक भोपाल, को-ऑपरेटिव सोसायटी व उनके पदाधिकारियों सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया था. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि सोसाइटी और उसके कार्यालय के संबंध में जानकारी एकत्र कर रहे हैं. सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए आदेश जारी किये.

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