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3 माह में 25 प्रकरण की अनिवार्यता का विरोध जारी, वकीलों की चेतावनी- आदेश वापस नहीं लिया गया तो 23 मार्च से काम करेंगे बंद

जबलपुर में शनिवार को मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद की बैठक हुई. इसमें परिषद के पदाधिकारियों ने चेतावनी देते हुए हाई कोर्ट द्वारा लागू 3 माह में 25 प्रकरणों के निराकरण की अनिवार्यता को खत्म करने की मांग एक बार फिर उठाई.

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हाई कोर्ट की चेतावनी
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Published : Mar 22, 2023, 3:34 PM IST

जबलपुर। पिछले 6 दिन से चली आ रही जबलपुर जिला अधिवक्ता संघ की हड़ताल के बाद मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने भी कड़ा निर्णय लिया है. सामान्य सभा की बैठक में राज्य अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा लागू की गई 3 माह में 25 प्रकरणों के निराकरण की अनिवार्यता को 21 मार्च तक वापस लिया जाए. अगर ऐसा नहीं गया तो प्रदेश के सभी वकील 23 मार्च से न्यायालयीन कार्य से छुट्टी ले लेंगे.

6 दिन से हड़ताल जारी: परिषद के वाइस चेयरमेन आरके सिंह सैनी ने बताया कि पुराने 25 प्रकरणों को लेकर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जो आदेश पारित किया गया है, उसके विरोध में सप्ताह भर से प्रदर्शन चल रहे हैं. इस आदेश से वकील और पक्षकार भारी दबाव में आ गए हैं. नियत समय-सीमा के भीतर पुराने मामले निपटाने के चक्कर में पक्षकारों को न्याय मिलने के स्थान पर महज मामलों का निपटारा होने जैसे हालत पैदा हो जाएंगे. इससे न्यायपालिका का मूलभूत उद्देश्य न्याय दान बाधित होगा. अधिवक्ताओं और पक्षकारों को अति आवश्यक होने पर भी आगामी तिथि दिए जाने की सुविधा से वंचित किया जाएगा.

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चेयरमैन ने दिया इस्तीफा: राज्य अधिवक्ता परिषद की शनिवार को हुई सामान्य सभा की बैठक में चेयरमैन विवेक सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसे सदन ने स्वीकार करते हुए ग्वालियर के प्रेम सिंह भदौरिया को सर्वसम्मति से परिषद का नया अध्यक्ष चुना है. इसके साथ ही मनीष तिवारी को नया कोषाध्यक्ष और राधेलाल गुप्ता को मानद सचिव चुना गया है.

जबलपुर। पिछले 6 दिन से चली आ रही जबलपुर जिला अधिवक्ता संघ की हड़ताल के बाद मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने भी कड़ा निर्णय लिया है. सामान्य सभा की बैठक में राज्य अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा लागू की गई 3 माह में 25 प्रकरणों के निराकरण की अनिवार्यता को 21 मार्च तक वापस लिया जाए. अगर ऐसा नहीं गया तो प्रदेश के सभी वकील 23 मार्च से न्यायालयीन कार्य से छुट्टी ले लेंगे.

6 दिन से हड़ताल जारी: परिषद के वाइस चेयरमेन आरके सिंह सैनी ने बताया कि पुराने 25 प्रकरणों को लेकर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जो आदेश पारित किया गया है, उसके विरोध में सप्ताह भर से प्रदर्शन चल रहे हैं. इस आदेश से वकील और पक्षकार भारी दबाव में आ गए हैं. नियत समय-सीमा के भीतर पुराने मामले निपटाने के चक्कर में पक्षकारों को न्याय मिलने के स्थान पर महज मामलों का निपटारा होने जैसे हालत पैदा हो जाएंगे. इससे न्यायपालिका का मूलभूत उद्देश्य न्याय दान बाधित होगा. अधिवक्ताओं और पक्षकारों को अति आवश्यक होने पर भी आगामी तिथि दिए जाने की सुविधा से वंचित किया जाएगा.

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