जबलपुर। कोरोना के चलते प्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों को दी गई आर्थिक मदद के संबंध में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष एमपी सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की. लेकिन युगलपीठ ने सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर असंतुष्टि जता दी, और अब सरकार को विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट में 3 फरवरी को अगली सुनवाई होगी.
बंधुआ मुक्ति मोर्चा की याचिका
बंधुआ मुक्ति मोर्चा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर प्रदेश में लौट रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को खाद्य और आर्थिक मदद करने के लिए कई शासकीय योजनाएं संचालित की जा रही हैं. जिससे प्रवासी मजदूर अपना जीवन यापन कर सकें. लेकिन याचिका में कहा गया है कि दूसरे प्रदेश से लौटे प्रवासी मजूदरों को किसी प्रकार की शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. याचिका में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के नाम की सूची आधार कार्ड के साथ हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई थी.
प्रवासी मजदूरों की स्थिति दयनीय
याचिका में कहा गया था कि शासकीय योजना का लाभ नहीं मिलने के कारण प्रवासी मजदूरों की स्थिति बहुत दयनीय है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि प्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों की पंजीकृत संख्या लगभग 7 लाख 40 हजार है. जिसमें से लगभग 45 हजार प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है. पूर्व में युगलपीठ ने सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुविधाएं संबंधित योजनाएं बढ़ाने के निर्देश दिए थे.
स्टेटस रिपोर्ट में क्या था ?
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में उनकी तरफ से कहा गया कि मजदूरों के खाते में कितनी राशि जमा की गयी, कितने मजदूरों को अनाज उपलब्ध करवाया गया. मनरेगा के तहत कितने प्रवासी मजदूरों को नौकरी दी गई इनका स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है. जिसके बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए.