जबलपुर। फर्जी तरीके से समिति का गठन कर शैक्षणिक संस्थाओं की राशि के दुरूपयोग करने व मिशन की संम्पत्ति का फर्जीवाड़ा करने के आरोप में गिरफ्तार पूर्व पीसी सिंह को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने पूर्व बिशप को सशर्त जमानत का लाभ प्रदान किया है. बिशप को ईओडब्ल्यू में अपना पासपोर्ट जमा करवाना होगा.
बिशप के घर मारा था छापा: ईओडब्लयू जबलपुर की टीम ने 8 सितम्बर को बिशप पीसी सिंह के नेपियर टाउन स्थित कार्यालय व घर में दबिश दी थी. इस दौरान 80 लाख का सोना, 1 करोड़ 65 लाख रुपए नगद, 48 बैंक खाते, 18352 यूएस डॉलर, 118 पांउड, 9 लग्जरी गाड़ियां, 17 संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे, दबिश के दौरान बिशप देश के बाहर थे. ईओडब्ल्यू ने बिशप को नागपुर एयरपोर्ट से 12 सितंबर को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था. ईओडब्ल्यू ने पूछताछ के लिए बिशप को चार दिन के रिमांड पर लिया था. रिमांड के दौरान उन्होंने 10 एफडी सहित 174 बैंक खातों की जानकारी दी थी.
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कोर्ट ने दी जमानत: उन्होंने मिशन कंपाउड स्थित बेशकीमती जमीन खुद के नाम आधे दामों में खरीदी थी. बिशप रहते हुए उन्होंने जमीन बेची और क्रेता के तौर पर खुद खरीदी थी. उनके खिलाफ देशभर के अलग-अलग राज्यों में 80 मामले दर्ज हैं. बिना अनुमत्ति उन्होंने फर्जी तरीके से संस्था का रजिस्ट्रेशन करवाया था. पूर्व बिशप की तरफ से जमानत के लिए दूसरी बार आवेदन दायर किया गया था. एकलपीठ ने 10 जनवरी को सुनवाई के फैसला सुरक्षित रख लिया था. एकलपीठ द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जमानत का लाभ आरोपी को कारावास से राहत देने का है. राज्य सरकार को भी आरोपी के भार से राहत मिलती है. अपराधिक मामले में आरोपी को राहत देने से इसलिए इंकार नहीं किया जा सकता कि उसने सामाजिक भावनाओं को आहत किया है. याचिकाकर्ता पिछले 120 दिनों से न्यायिक रक्षा में है और उसके खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिया गया है. उसे बिशप व मॉडरेटर पद से हटाकर प्रभावहीन कर दिया है. बैंक खाते भी सीज कर लिये गए हैं. एकलपीठ ने आरोपी को सशर्त जमानत का लाभ प्रदान किया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता अनील खरे व अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.