जबलपुर। रक्षा मंत्रालय ने देश की सबसे शक्तिशाली 6 धनुष गन को आज सेना को सौंप दिया. इस अवसर पर जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. रक्षा विभाग के तमाम आलाधिकारी मौजूद रहे.
रक्षा मंत्रालय के सचिव डॉ. अजय कुमार ने सेना के अधिकारी पीके श्रीवास्तव को गन सौंपी. रक्षा सचिव ने कहा कि आज का दिन रक्षा मंत्रालय के लिए बहुत ही खुशी का दिन है. हम अपनी स्वदेशी निर्मित धनुष गन को सेना के हवाले कर रहे हैं. विश्व स्तरीय तोप की तारीफ करते हुए रक्षा सचिव ने कहा कि 6 धनुष गनों को पूरी जांच के बाद आर्डलरी डिवीजन को सौंपा है. गन कैरिज फैक्ट्री ने आज के दिन को ऐतिहासिक बनाते हुए इस तरह की परियोजना की शुरुआत की है वह आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगी.
धनुष गन की विशेषता को लेकर ऑडनेंस बोर्ड के चेयरमैन सौरभ कुमार ने बताया कि इसकी मारक क्षमता 38 किलोमीटर तक है. यह गन बहुत ही प्रभावशाली है 1 घंटे में इससे 42 से ज्यादा राउंड चलाए जा सकते हैं. जो कि एक रिकॉर्ड है. धनुष गन अपनी लोकेशन को खुद ही टारगेट करती है और कमांड मिलने पर ही फायर करती है. धनुष का वजन 13 टन से भी कम है, यही वजह है कि ऊंची से ऊंची जगह भी यह आसानी से जाकर दुश्मन पर हमला कर सकती है. जीसीए फैक्ट्री को 114 धनुष गन बनाने का लक्ष्य दिया गया है.
धनुष की खासियत
- धनुष की मारक क्षमता बोफोर्स तोपों के मुकाबले कहीं ज्यादा है
- बोफोर्स तोपें जहां 29 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं वहीं धनुष की रेंज 38 किलोमीटर है
- धनुष पूरी तरह ऑटोमैटिक है जबकि बोफोर्स को मैनुअली ऑपरेट किया जाता था
- लगातार फायर करने के बावजूद भी इसका बैरल गरम नहीं होती
- बोफोर्स के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से गोले बरसा सकती है
- इस तोप को किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है
- धनुष के निर्माण में 90 प्रतिशत देसी कल-पुर्जों का इस्तेमाल हुआ है