जबलपुर। मध्य प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी में परीक्षा नियंत्रक पर आरोप लगाए गए थे की परिक्षा में बच्चों को पास और फेल करवाने के लिए उन्होंने परीक्षा नियंत्रण करने वाली कंपनी से सिफारिश की थी. इसकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से की थी. शिकायत मिलने पर मंत्री ने मामले में जांच के आदेश दिए थे. जांच कमेटी बनाई गई थी. शिकायतों को लेकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पूरी कर ली है और इसे शासन को भेज दिया है.
- डॉक्टर वृंदा सक्सेना को हटाया और फिर करवाया ज्वाइन
इस रिपोर्ट के पूरा होने के पहले ही मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना को मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. टीएन दुबे ने 17 जून को आदेश दिया की वृंदा सक्सेना को परीक्षा नियंत्रक के पद से हटाया जा रहा है. इससे यह बात स्पष्ट हो गया है कि डॉक्टर वृंदा सक्सेना के ऊपर लगे हुए आरोप में जांच कमेटी को कुछ सबूत जरूर मिले हैं. जिनकी वजह से कुलपति को डॉक्टर वृंदा सक्सेना को हटाना पड़ा.
- डॉक्टर वृंदा सक्सेना पर ये है आरोप
माइंड लॉजिक कंपनी जिसके पास मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षा का पूरा नियंत्रण था. परीक्षा नियंत्रक वृंदा सक्सेना पर आरोप है कि उन्होंने निजी मेल पर कुछ छात्रों को पास करवाने के लिए सिफारिश की थी. इन सिफारिशों के बाद इन्हें माइंड लॉजिक कंपनी को भेजा गया और फेल छात्रों को पास कर दिया गया. इसकी शिकायत चिकित्सा शिक्षा मंत्री को की गई थी और इसके बाद ही यह जांच समिति गठीत की गई थी.
- आखिर दोबारा क्यों दिया गया प्रभार
मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति ने पहले तो वृंदा सक्सेना को परीक्षा नियंत्रक के पद से हटा दिया, लेकिन बाद में उन्हें दोबारा से प्रभार दे दिया गया. दोबारा प्रभार देने वाली चिट्ठी 18 जून को जारी की गई अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि कुलपति से पहले गलती हुई या बाद में? या फिर वृंदा सक्सेना की ओर से कोई राजनीतिक दबाव डाला गया. लेकिन इस घटनाक्रम से कुछ ना कुछ षड्यंत्र की बात जरूर निकल कर सामने आ रही है.
जबलपुर:मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत की जांच पूरी
- माइंड लॉजिक कंपनी पर महरबान है यूनिवर्सिटी
इस घटनाक्रम के बीच में एक जानकारी यह भी निकल कर सामने आई है की माइंड लॉजिक कंपनी को अपने पैसे पर इंटरनेट की व्यवस्था बनानी थी, क्योंकि परीक्षा के संचालन में बड़ी तादात में डाटा का इस्तेमाल होता है और बीते एक साल में माइंड लॉजिक कंपनी ने 40 लाख रुपए का डाटा खर्च किया और इसका बिल मेडिकल यूनिवर्सिटी ने चुकाया. आपत्ति करने वाले लोगों का कहना है कि आखिर कंपनी के ऊपर यूनिवर्सिटी इतनी मेहरबान क्यों है?