जबलपुर। नए कृषि कानून के समर्थन में सरकार द्वारा प्रदेश के 6 जिलों में किसान सम्मेलन आयोजित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था गृह विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लघन कर सरकार ने किसान सम्मेलन आयोजित किया था. याचिका में मांग की गई थी कि सम्मेलन के आयोजक,उसमें शामिल नेताओं व सहयोग करने वाले सरकारी-अधिकारियों के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई की जाए.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ से सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 9 फरवरी को निर्धारित की गई है.
इंदौर निवासी राजेन्द्र गुप्ता व सागर निवासी पंकज सोनी की तरफ से दायर की गई. याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के गृह सचिव द्वारा 20 नवंबर को कोरोना वायरस की रोकधाम के संबंध में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को एक आदेश जारी किया गया था. आदेश में कहा गया था कि जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करे कि सार्वजनिक स्थलों पर फेस माॅक्स का इस्तेमाल सुनिश्चित रूप से किया जाये. आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ जुर्माना सहित अन्य वैधानिक कार्यवाही की जाए.आदेश में धारा-144 के तहत धरना प्रदर्शन पर रोक लगाई गई थी.
याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि संशोधन कानून के समर्थन में भारतीय जनता पार्टी ने 16 दिसम्बर को इंदौर,ग्वालियर,सागर एव रीवा में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसके अलावा 18 दिसम्बर को रायसेन में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था. किसान सम्मेलन के आयोजन के दौरान सोशल डिस्टेसिंग,माॅस्क के उपयोग व सैनिटाइजेशन की कोई व्यवस्था नहीं की गई. सम्मेलन में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. याचिका में कहा गया था कि किसान सम्मेलन का आयोजन में गृह विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है.
याचिका में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण के कारण इंदौर में एक हाईकोर्ट जज की मौत हुई थी. याचिका के साथ कोरोना से मृत व्यक्ति के आंकडे भी पेश किये गये थे. याचिका में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव,गृह व स्वास्थ विभाग सचिव,डीजीपी व 6 जिलों के कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता नीरज सोनी ने पैरवी की है.