जबलपुर। कोरोना संक्रमण की वजह से सरकार की लगभग पूरी व्यवस्था चौपट हो गई हैं. अब सरकार को लग रहा है कि जेलों में बंद हजारों कैदियों की जिंदगी भी खतरे में हैं, क्योंकि जेल में रहते हुए भी कई कैदी कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं. जेल में कैदियों के लिए इलाज की भी व्यवस्था नहीं हैं. इसलिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के आदेश जारी किए हैं.
क्षमता से ज्यादा कैदी
जेलों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता 28,675 हैं, लेकिन जेल में 49,471 कैदी बंद हैं. यह स्थिति तब है, जब से 3700 कैदी पैरोल पर रिहा किए गए हैं.
सजायाफ्ता कैदियों के लिए पैरोल
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सजायाफ्ता कैदियों के लिए जेल अधिकारी आकस्मिक पैरोल देने पर विचार करें. यह पैरोल कम से कम 90 दिन की होनी चाहिए. इसमें कोर्ट ने अलग-अलग कैदियों के लिए आदेश जारी किया है, जिन्हें कम से कम 90 दिन की पैरोल दी जानी हैं.
1. 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष कैदी.
2. सभी महिला कैदी, जिनकी उम्र 45 साल से अधिक हों.
3. वे सभी महिला कैदी, जिनके बच्चे हैं या फिर जो महिला कैदी गर्भवती हैं.
4. इसके साथ ही जिन कैदियों को गंभीर बीमारियां हैं.
विचाराधीन कैदियों के लिए आदेश
हाईकोर्ट का कहना है कि जेलों में 30,982 विचाराधीन कैदी हैं. कोरोना वायरस संकट काल के दौरान जेल में रहना, इनके लिए खतरनाक साबित हो सकता हैं. इसलिए इन्हें भी 90 दिनों की अवधि के लिए अस्थाई जमानत पर रिहा किया जाए. इसमें जमानत बांड भरवाए जा सकते हैं. इसके लिए जिन जेलों में विचाराधीन कैदी बंद हैं, वह आवेदन देंगे. फिर जेल अधीक्षक इन आवेदनों को जिला अदालत तक पहुंचाएंगे. इसके बाद इन्हें अस्थाई जमानत दी जा सकती हैं. हालांकि, इसमें कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन कैदियों को अंतरिम जमानत दी गई थी. अगर उन लोगों ने इस दौरान किसी अपराध को किया है, तो उन्हें जमानत का लाभ नहीं मिलेगा. इसके साथ ही जिन कैदियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हैं, उन्हें भी पहले सरेंडर करना होगा, तब जाके उनके मामले पर विचार किया जायेगा.
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जेल में बंद कैदियों के लिए आदेश
पैरोल पर छोड़े जाने के अलावा जो कैदी जेल में बचेंगे, उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी. अगर किसी कैदी में कोरोना के सिम्टमस पाए जाते हैं, तो उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा. उसे आइसोलेट किया जायेगा. वहीं जेल में बंद होने वाले नए कैदियों को पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाना होगा. शुरुआत में इन्हें 15 दिनों तक आइसोलेट किया जाएगा. अगर कोई कैदी कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसका इलाज जेल प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा.
जुर्माना माफ करो और रिहा करो
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अगर किसी कैदी को केवल इसलिए जेल में निरूद्ध रखा गया हैं, क्योंकि उसके पास जुर्माने की राशि अदा करने के पैसे नहीं है, तो राज्य सरकार जुर्माना माफ कर उसे रिहा करें. इसके साथ ही जेल में बंद कैदियों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जाए. हाईकोर्ट की यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की एक याचिका के आदेश के आधार पर हैं. इन पर राज्य सरकार को अमल करना हैं. वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होनी हैं.
पिछले साल भी सरकार ने पैरोल पर भेजा था
बता दें कि पिछले साल भी ऐसे कई बंदियों को जेल विभाग ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए पैरोल पर छोड़ा था. यह दूसरा बार है जब जेल के अंदर बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की योजना जेल विभाग ने बनाई है. जेल विभाग का मानना है कि जेलों में बंदियों की संख्या कम रखने से संक्रमण का खतरा भी काफी कम हो जाएगा.
पुरानी जेल को बनाया अस्थाई जेल
राजधानी भोपाल में जेल पहाडी स्थित पुरानी जेल को अस्थाई जेल बनाया गया हैं. यहां क्वारेंटीन सेंटर और आइसोलेशन वार्ड बनाए गए है. आरटी-पीसीआर टेस्ट पाॅजिटिव आने के बाद जरूरत पड़ने पर हाॅस्पिटल या फिर पुरानी जेल में ही रखा जा रहा है. प्रदेश में ऐसे कैदियों के लिए अलग से वार्ड बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
पिछले साल पैरोल पर रिहा हुए थे 6500 कैदी
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश की जेलों से 6500 कैदियों को पेरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था. इसमें पेरोल पर छूटने वाले कैदियों की संख्या 3800 है. हालांकि शुरूआत में इन्हें 60 दिन के लिए पैरोल पर छोड़ा गया था. नंवबर माह में इसके 60 दिन के लिए फिर बढ़ा दिया गया था. हालांकि जनवरी में पेरोल पर छूटे सभी बंदी वापस जेलों में पहुंच चुके हैं.
कोरोना से बचाव के लिए किए जा रहे ये इंतजाम
- जेल में आने वाले नए कैदियों को जेल में 15 दिन के लिए किया जा रहा आइसोलेट.
- कैदियों का आरटीपीसीआर टेस्ट कराने के बाद ही भेजा जा रहा जेल.
- जेलों में बंद कैदियों को भी लगाया जा रहा कोरोना का टीका.
- भोपाल जेल में बंद एक हजार से ज्यादा कैदियों को लगा पहला टीका.
- जेल में कैदियों की इम्युनिटी को बनाए रखने के लिए उन्हें काढ़ा आदि भी दिया जा रहा है.
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छिंदवाड़ा जेल प्रशासन सतर्क, सात दिनों का योगा शिविर का आयोजन
जिला जेल में 7 दिनों का योगा शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर के माध्यम से बंदियों को योगा के माध्यम से शारीरिक और मानसिक तनाव से दूर रखा जा सकता है. कार्यक्रम का आयोजन जिला विधिक प्राधिकरण और जिला जेल के संयुक्त तत्वाधान में किया गया.
इस बार बंदियों से मुलाकात बंद
कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संक्रमित बंदियों की संख्या बढ़ता देख पिछले साल जिला जेल में अलग से अस्थाई जेल बना दी गई थी. जहां उन्हें रखकर और जिला अस्पताल में भिजवा कर उनका इलाज किया जा रहा था. वहीं इस साल अस्थाई जेल नहीं बनाई गई है और न ही बंदियों की उनके परिवारजनों के साथ मिलना बंद किया गया हैं. पिछले साल कोविड-19 संक्रमण के चलते मुलाकात बंद कर दी गई थी, जिसके कारण बंदी उनके परिवार के लोग लगभग 8 महीने तक मुलाकात नहीं हो पाई थी.
सीसीटीवी कैमरे से की जा रही निगरानी
जिला जेल में सीसीटीवी कैमरे की मदद से 24 घंटे सातों दिन निगरानी की जाती है. लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था और अन्य और अन्य चीजों को लेकर लगातार जिला जेल में संक्रमण से रोकथाम के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं.
जेल में ना हो जाए 'खेल': चाहिए 'कोरोना प्रूफ' जेल
सागर सेंट्रल जेल के हालात चिंताजनक
- केंद्रीय जेल की क्षमता 900 बंदियों की है. एक अप्रैल की स्थिति में सागर केंद्रीय जेल में लॉकअप की संख्या 1600 है.
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले साल सागर सेंट्रल जेल के 350 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था.
- जनवरी 2021 में आपात पैरोल की अवधि खत्म हो जाने के कारण पैरोल पर गए सभी कैदी वापस आ चुके हैं. सेंट्रल जेल में क्षमता में 80 फीसदी ज्यादा कैदी हैं.