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High Court News कछुए से धीमी है एमपीपीएससी की चाल, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा - कछुए से धीमी है एमपीपीएससी की चाल

हाईकोर्ट के आदेशों की भी आजकल अवहेलना करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं. एमपीपीएससी को उच्च न्यायालय ने दिव्यांगों को आरक्षण के आधार पर नौकरी देने का निर्देश एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया था. बावजूद इसके अभी तक उस दिव्यांग को नौकरी नहीं दी गई. इसके पश्चात अदालत में एक और याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एमपीपीएससी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. (high court news mppsc) (mppsc speed is slower than turtle) (court issued notice to mppsc)

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कछुए से धीमी है एमपीपीएससी की चाल
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Published : Nov 4, 2022, 9:43 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 10:08 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के बावजूद भी सहायक प्रोफेसर पद पर दिव्यांगों को नियुक्ति नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया है कि सहायक प्रोफेसर पद पर आरक्षण अनुसार दिव्यागों को नियुक्तियां देने के संबंध में कोई लिस्ट तैयार नहीं की गयी है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. (high court news mppsc) (mppsc speed is slower than turtle) (court issued notice to mppsc)

कछुए से धीमी है एमपीपीएससी की चाल

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दिव्यांग को नहीं मिला आरक्षण का लाभः रमाकांत तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह विकलांग की श्रेणी में आते है. साल 2017 में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद के लिए एमपीपीएससी ने विज्ञापन जारी कर परीक्षा आयोजित की थी. जिसमें वह शामिल हुआ था परंतु चयन नहीं हुआ. नियमानुसार उसे दिव्यांग होने का आरक्षण मिलना चाहिए था, जो नहीं मिला. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने नियमानुसार दिव्यांगों को आरक्षण प्रदान करने के आदेश जारी करते हुए नयी चयन सूची बनाने के आदेश जारी किए थे. याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को एक साल से अधिक का समय हो गया है. एमपीपीएससी द्वारा अभी तक नई सूची जारी नहीं की गयी है. जिसके कारण सरकारी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद रिक्त पडे़ हुए है. याचिका में प्रमुख सचिव व आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग तथा एमपीपीएससी को अनावेदक बनाया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. (high court news mppsc) (mppsc speed is slower than turtle) (court issued notice to mppsc)

जबलपुर। हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के बावजूद भी सहायक प्रोफेसर पद पर दिव्यांगों को नियुक्ति नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया है कि सहायक प्रोफेसर पद पर आरक्षण अनुसार दिव्यागों को नियुक्तियां देने के संबंध में कोई लिस्ट तैयार नहीं की गयी है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. (high court news mppsc) (mppsc speed is slower than turtle) (court issued notice to mppsc)

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दिव्यांग को नहीं मिला आरक्षण का लाभः रमाकांत तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह विकलांग की श्रेणी में आते है. साल 2017 में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद के लिए एमपीपीएससी ने विज्ञापन जारी कर परीक्षा आयोजित की थी. जिसमें वह शामिल हुआ था परंतु चयन नहीं हुआ. नियमानुसार उसे दिव्यांग होने का आरक्षण मिलना चाहिए था, जो नहीं मिला. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने नियमानुसार दिव्यांगों को आरक्षण प्रदान करने के आदेश जारी करते हुए नयी चयन सूची बनाने के आदेश जारी किए थे. याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को एक साल से अधिक का समय हो गया है. एमपीपीएससी द्वारा अभी तक नई सूची जारी नहीं की गयी है. जिसके कारण सरकारी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद रिक्त पडे़ हुए है. याचिका में प्रमुख सचिव व आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग तथा एमपीपीएससी को अनावेदक बनाया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. (high court news mppsc) (mppsc speed is slower than turtle) (court issued notice to mppsc)

Last Updated : Nov 4, 2022, 10:08 PM IST
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