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High Court Order : डेढ़ माह के अंदर Medical student को दास्तावेज लौटाने के निर्देश

निर्धारित समय सीमा में नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने के बावजूद भी दस्तावेज नहीं लौटाने के मामले में हाईकोर्ट ने 45 दिनों के अंदर याचिकाकर्ता छात्रा के दस्तावेज लौटाने के निर्देश जारी किये हैं. (High Court instructions to return documents) (High Court give relief to medical student)

High Court give relief to medical student
हाई कोर्ट ने दिए दास्तावेज लौटाने के निर्देश
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Published : May 25, 2022, 8:02 PM IST

जबलपुर। निर्धारित समय सीमा में नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने के बावजूद दस्तावेज नहीं लौटाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में मेडिकल छात्रा ने याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डी डी बंसल की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता छात्रा को पीजी कोर्स पूर्ण करने के पहले नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था. युगलपीठ ने 45 दिनों के अंदर याचिकाकर्ता छात्रा के दस्तावेज लौटाने के निर्देश जारी किये हैं.

कोर्स पूरा होने से पहले ही नियुक्त पत्र थमा दिया : याचिकाकर्ता डॉ. अर्चना गोविन्द राव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि पीजी कोर्स कोर्स पूर्ण करने के बाद एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देना आवश्यक है. इसके लिए सरकार सभी छात्रों से 10 लाख रुपये का करार कराती है. याचिका में कहा गया था कि उसने दिसम्बर 2018 में पीजी कोर्स पूर्ण किया था परंतु सितम्बर 2018 में ही उसे ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने के लिए नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था.

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बांड अपने आप खत्म हो जाता है : कोर्स पूर्ण नहीं होने के कारण उक्त नियुक्ति पत्र कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं था. याचिका में कहा गया था कि रूल्स 11 के अनुसार कोर्स पूर्ण करने के तीन माह की अवधि के अंदर नियुक्ति पत्र जारी करना आवश्यक है. ऐसा नहीं करने पर बांड स्वतः निरस्त हो जायेगा. याचिका में कहा गया था कि निर्धारित समय अवधि में नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने के कारण एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने का नियम उसके लिए बंधककारी नहीं है. इसके बावजूद भी कॉलेज प्रबंधन उसकी मार्कशीट व अन्य दस्तावेज व एनओसी प्रदान नहीं कर रहा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्त ब्रम्हानंद पांडे ने पैरवी की.

(High Court instructions to return documents) (High Court give relief to medical student)

जबलपुर। निर्धारित समय सीमा में नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने के बावजूद दस्तावेज नहीं लौटाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में मेडिकल छात्रा ने याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डी डी बंसल की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता छात्रा को पीजी कोर्स पूर्ण करने के पहले नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था. युगलपीठ ने 45 दिनों के अंदर याचिकाकर्ता छात्रा के दस्तावेज लौटाने के निर्देश जारी किये हैं.

कोर्स पूरा होने से पहले ही नियुक्त पत्र थमा दिया : याचिकाकर्ता डॉ. अर्चना गोविन्द राव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि पीजी कोर्स कोर्स पूर्ण करने के बाद एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देना आवश्यक है. इसके लिए सरकार सभी छात्रों से 10 लाख रुपये का करार कराती है. याचिका में कहा गया था कि उसने दिसम्बर 2018 में पीजी कोर्स पूर्ण किया था परंतु सितम्बर 2018 में ही उसे ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने के लिए नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था.

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बांड अपने आप खत्म हो जाता है : कोर्स पूर्ण नहीं होने के कारण उक्त नियुक्ति पत्र कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं था. याचिका में कहा गया था कि रूल्स 11 के अनुसार कोर्स पूर्ण करने के तीन माह की अवधि के अंदर नियुक्ति पत्र जारी करना आवश्यक है. ऐसा नहीं करने पर बांड स्वतः निरस्त हो जायेगा. याचिका में कहा गया था कि निर्धारित समय अवधि में नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने के कारण एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने का नियम उसके लिए बंधककारी नहीं है. इसके बावजूद भी कॉलेज प्रबंधन उसकी मार्कशीट व अन्य दस्तावेज व एनओसी प्रदान नहीं कर रहा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्त ब्रम्हानंद पांडे ने पैरवी की.

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