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लॉकडाउन बना मजदूरों की परेशानी का सबब , बेबसी के अलावा हाथ में कुछ भी नहीं - लॉकडाउन

साल 2020 का मजदूर दिवस मजदूरों के जीवन में एक गहरी छाप छोड़ गया है. इससे पहले कभी मजदूर इतना बेबस नहीं महसूस किया जितना इस साल लॉकडाउन की वजह से किया है.

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मजदूरों की बेबसी
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Published : May 1, 2020, 8:59 PM IST

जबलपुर। देश भर में एक मई मजदूर दिवस के रूप में याद किया जाता है, लेकिन इस बार का मजदूर दिवस मजदूरों के लिए कष्टकारी है. लॉकडाउन के कारण मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, इस दौरान वो आमदनी के लिए तो परेशान हैं हीं, साथ ही साथ अपने परिवार को भूख से बिलखता देख अंदर ही अंदर अपने आपको कोस भी रहे हैं.

लॉकडाउन में बेबस हैं मजदूर

ये भी पढ़ें- ग्रामीणों को नहीं मिल रहा राशन, कोटेदार की मनमानी से दाने-दाने को मोहताज गरीब

लॉकडाउन से सबसे अधिक गरीब और मजदूर वर्ग परेशान है. जो अपनी बची हुई जमा पूंजी से किसी तरह पेट पाला लेकिन अब हालात बिगड़ते जा रहे हैं. उनके बचे कुचे पैसे और राशन भी खत्म होने वाले हैं. ऐसे में उनके परिवार भी दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

जानें ये भी- जबलपुर: परशुराम का परोपकार! गांव-गांव जाकर बांट रहे मास्क

प्रशासन और समाजसेवी गरीब तबकों को भोजन मुहैया तो करा रहा है लेकिन जैसे - जैसे लॉकडाउन बढ़ रहा है परेशानियां और बढ़ती जा रही हैं. जो खाने और राशन के पैकेट उन्हें दिए गए थे वो भी खत्म हो गए हैं. समाजसेवी उदीप सिंह ने बताया कि हम अपने बजट में हर संभव मदद कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- विदेशों में बिकने वाला एमपी का पान चढ़ा लॉकडाउन की भेंट, कमलनाथ ने शिवराज को लिखा पत्र

लॉकडाउन फिर से बढ़ गया है. ऐसे में मजदूर बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं. अब तो इन गरीब परिवारों का कहना है कि कोरोना इनकी जान ले या नहीं लेकिन भूख से जरूर उनकी जान चली जाएगी.

जबलपुर। देश भर में एक मई मजदूर दिवस के रूप में याद किया जाता है, लेकिन इस बार का मजदूर दिवस मजदूरों के लिए कष्टकारी है. लॉकडाउन के कारण मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, इस दौरान वो आमदनी के लिए तो परेशान हैं हीं, साथ ही साथ अपने परिवार को भूख से बिलखता देख अंदर ही अंदर अपने आपको कोस भी रहे हैं.

लॉकडाउन में बेबस हैं मजदूर

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लॉकडाउन से सबसे अधिक गरीब और मजदूर वर्ग परेशान है. जो अपनी बची हुई जमा पूंजी से किसी तरह पेट पाला लेकिन अब हालात बिगड़ते जा रहे हैं. उनके बचे कुचे पैसे और राशन भी खत्म होने वाले हैं. ऐसे में उनके परिवार भी दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

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प्रशासन और समाजसेवी गरीब तबकों को भोजन मुहैया तो करा रहा है लेकिन जैसे - जैसे लॉकडाउन बढ़ रहा है परेशानियां और बढ़ती जा रही हैं. जो खाने और राशन के पैकेट उन्हें दिए गए थे वो भी खत्म हो गए हैं. समाजसेवी उदीप सिंह ने बताया कि हम अपने बजट में हर संभव मदद कर रहे हैं.

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लॉकडाउन फिर से बढ़ गया है. ऐसे में मजदूर बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं. अब तो इन गरीब परिवारों का कहना है कि कोरोना इनकी जान ले या नहीं लेकिन भूख से जरूर उनकी जान चली जाएगी.

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