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15 नीम-हकीम डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज, 13 जुलाई को हाईकोर्ट में फिर होगी सुनवाई - Jabalpur High Court News

कोरोना काल में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जसिटस एके मित्तल और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि 15 नीम-हकीम डॉक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है, जिसमें से कुछ की अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने खारिच कर दी है और कुछ लंबित है.

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Published : Jul 7, 2020, 12:28 PM IST

जबलपुर। कोरोना काल में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जसिटस एके मित्तल और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि 15 नीम-हकीम डॉक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है, जिसमें से कुछ की अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने खारिच कर दी है और कुछ लंबित है. इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएन की तरफ से आवेदक बनाये जाने के लिए आवेदन पेश किया गया. पीठ ने आवेदन पर नोटिस जारी कर याचिका पर 13 जुलाई को अगली सुनवाई निर्धारित की है.

याचिकाकर्ता ऋषिकेश सराफ की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि झोलाछाप डॉक्टर कोरोना काल में भी एलोपैथिक दवाओं से सर्दी, जुकाम, बुखार आदि बीमारियों का उपचार कर रहे हैं. जिसके कारण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. एलोपैथिक तरीके से उपचार करने वाले 28 छोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत उन्होंने स्वास्थ विभाग से की थी. जिसमें से सिर्फ 13 के खिलाफ कार्रवाई हुई, पांच के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी. जिसमें से एक की भी गिरफ्तारी नहीं हुई और सभी मरीजों का गलत उपचार कर रहे हैं. उनके पास संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन तक नहीं है.

याचिका में ये भी कहा गया है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में शासन से मान्यता प्राप्त संस्था से आयुर्वेद, होम्योपैथिक आदि मान्य चिकित्सा पद्धति से आयुष डॉक्टर वास्तविक या मान्य डॉक्टर की श्रेणी में आते हैं. उन्हें क्लीनिक खोलने से पूर्व संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन करवाना आवश्यक है. वहीं ऐसे डॉक्टर भी एलोपैथिक तरीके से इलाज कर रहे हैं, जिनका पंजीयन नहीं है, जो अपराधिक कृत्य है, स्वास्थ विभाग ने फर्जी डॉक्टरों की शिकायत पुलिस महानिरीक्षक से की थी.

इसके अलावा संभागायुक्त और कलेक्टर ने भी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देष दिए थे. पिछली सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया था कि एक नीम हकीम को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत का लाभ मिल गया है. जिसे गंभीरता से लेते हुए पीठ ने आदेश दिया है कि जिन झोलाझाप डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है, उनकी जमानत याचिका के साथ पीठ के समक्ष पेश किए जाए.

जबलपुर। कोरोना काल में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जसिटस एके मित्तल और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि 15 नीम-हकीम डॉक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है, जिसमें से कुछ की अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने खारिच कर दी है और कुछ लंबित है. इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएन की तरफ से आवेदक बनाये जाने के लिए आवेदन पेश किया गया. पीठ ने आवेदन पर नोटिस जारी कर याचिका पर 13 जुलाई को अगली सुनवाई निर्धारित की है.

याचिकाकर्ता ऋषिकेश सराफ की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि झोलाछाप डॉक्टर कोरोना काल में भी एलोपैथिक दवाओं से सर्दी, जुकाम, बुखार आदि बीमारियों का उपचार कर रहे हैं. जिसके कारण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. एलोपैथिक तरीके से उपचार करने वाले 28 छोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत उन्होंने स्वास्थ विभाग से की थी. जिसमें से सिर्फ 13 के खिलाफ कार्रवाई हुई, पांच के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी. जिसमें से एक की भी गिरफ्तारी नहीं हुई और सभी मरीजों का गलत उपचार कर रहे हैं. उनके पास संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन तक नहीं है.

याचिका में ये भी कहा गया है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में शासन से मान्यता प्राप्त संस्था से आयुर्वेद, होम्योपैथिक आदि मान्य चिकित्सा पद्धति से आयुष डॉक्टर वास्तविक या मान्य डॉक्टर की श्रेणी में आते हैं. उन्हें क्लीनिक खोलने से पूर्व संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन करवाना आवश्यक है. वहीं ऐसे डॉक्टर भी एलोपैथिक तरीके से इलाज कर रहे हैं, जिनका पंजीयन नहीं है, जो अपराधिक कृत्य है, स्वास्थ विभाग ने फर्जी डॉक्टरों की शिकायत पुलिस महानिरीक्षक से की थी.

इसके अलावा संभागायुक्त और कलेक्टर ने भी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देष दिए थे. पिछली सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया था कि एक नीम हकीम को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत का लाभ मिल गया है. जिसे गंभीरता से लेते हुए पीठ ने आदेश दिया है कि जिन झोलाझाप डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है, उनकी जमानत याचिका के साथ पीठ के समक्ष पेश किए जाए.

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