जबलपुर। दमोह जिले की तेंदूखेड़ा तहसील अंतर्गत ग्राम बम्हनौदा में सड़क, नाली व पाइप लाइन के लिये लाखों रुपये की राशि का बंदरबाट कर हड़प करने का आरोप है. इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. यह जनहित याचिका बम्हनौदा निवासी गुड्डा ठाकुर व बसोरी गौड़ की ओर से दायर की गई.
सरपंच और सचिव ने किया राशि का बंदरबांट : याचिका में कहा गया कि ग्राम पंचायत में सड़क, नाली व पाइप लाइन बिछाने के लिये लाखों रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी. सरपंच प्रकाश रानी व सचिव रामकुमार अहिरवार ने बिना निर्माण कार्यों के उक्त राशि का बंदरबाट कर लिया. इतना ही नहीं, कुछ निर्माण हुए तो वह भी आधे-अधूरे ही रह गये. उक्त मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई थी. जिस पर जांच में पाया गया था कि 21 लाख से अधिक की राशि का हेरफेर हुआ है, लेकिन इसके बाद आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद हाईकोर्ट की शरण ली गई है.
जवाब पेश करने के निर्देश : इस मामले में प्रमुख सचिव राजस्व विभाग, कलेक्टर दमोह, जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम तेंदूखेड़ा, सर्किल अधिकारी जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत सचिव रामकुमार अहिरवार, रोजगार सहायक रामदास केवट व सरपंच प्रकाश रानी को पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई पश्चात न्यायालय ने नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्याम यादव ने पक्ष रखा.
अनावेदक के खिलाफ वारंट : डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बावजूद भी बालाघाट न्यायालय में पदस्थ विशेष न्यायाधीश पास्को ने आरोपी को दोषमुक्त करार दिया था. आदेश के खिलाफ सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बसंल की युगलपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया है कि विशेष जज द्वारा पारित आदेश को समीक्षा के लिए हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति के समक्ष पेश किया जाये. युगलपीठ ने अनावेदक के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है.
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नाबालिग से रेप का मामला : बालाघाट के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट आनदंप्रिय राहुल ने 22 सितबर 2021 को दस साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म करने के आरोपी जितेन्द्र कुठे को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया था. जितेन्द्र पर आरोप लगाया गया था कि उसने अपनी मुंहबोली भांजी के साथ दुष्कृत्य किया. अदालत द्वारा दिये गये इस फैसले के विरुद्ध राज्य शासन ने हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी.
डीएनए पॉजीटिव आया था: सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि मुख्य गवाह थानेदार केएल वरकडे ने अपने साक्ष्य में यह बताया था कि आरोपी का डीएनए टेस्ट पॉजिटिव आया है. उन्होंने यह दलील भी दी कि पीड़िता की उम्र 10 वर्ष की थी और पॉक्सो एक्ट में दिये प्रावधानों के अनुसार पीड़िता के बयान होने पर यह माना जाता है कि अपराध कारित हुआ है और इसमें कोई भी सहायक साक्ष्यों की आवश्यकता नहीं होती. शासन की तरफ से शासकीय अधिवक्ता एसके कष्यव ने पैरवी की। (Corruption in construction works) (Notices issued to many officers) (Hearing in Jabalpur High Court)