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MP में पत्तियों से हो रहा कैंसर का रामबाण इलाज, जानें विधि और व्यक्तिगत अनुभव

अगर कैंसर का इलाज कराते-कराते आप परेशान हो गए हैं और किसी तरह से तबियत में सुधार नहीं हो रहा है तो ये खबर आपके लिए महत्वपूर्ण हैं.जबलपुर के आसपास बहुतायत में पाए जाने वाले लक्ष्मण फल से कैंसर का रामबाण इलाज किया जा रहा है. इतना ही नहीं दावा तो यह भी किया जा रहा है कि, इस पेड़ की पत्तियों में कैंसर का इलाज छुपा है जो कैंसर से लड़ने वाले तत्वों की प्रचुरता, कैंसर मरीजों के लिए सबसे सस्ता इलाज है.

Jabalpur cancer treatment
जबलपुर कैंसर का इलाज
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Published : Feb 14, 2023, 11:18 AM IST

जबलपुर कैंसर का इलाज

जबलपुर। जिले के वातावरण में एक ऐसा पेड़ उगता है जिसमें कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने की क्षमता पाई जाती है. इस पेड़ को उसके फल के नाम से जाना जाता है. इसे कहीं माम फल और कहीं पर लक्ष्मण फल कहां जाता है. हालांकि सबसे ज्यादा महत्व इसकी पत्तियों का है. यूं तो इस पेड़ को को पूरे देश में कहीं भी पैदा किया जा सकता है, लेकिन कैंसर की बीमारी से लड़ने के लिए इसमें जिस तत्व की जरूरत होती है वह जबलपुर के आसपास के वातावरण में पैदा हुए पौधों में ज्यादा है.

ऐनोसेटिसिन की प्रचुरता: जबलपुर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के लेक्चरर डॉक्टर ज्ञानेंद्र तिवारी का दावा है कि, जबलपुर में पाए जाने वाले लक्ष्मण फल के पेड़ की पत्तियों में (Annocatacin) की मात्रा प्रचुरता में पाई गई है. जबकि इसी पेड़ को देश के दूसरे इलाकों में भी उगाया गया, लेकिन वहां इस पौधे की पत्तियों में कैंसर से लड़ने वाला तत्व उतना नहीं पाया गया.

जबलपुर का वातावरण अनुकूल: जबलपुर के आसपास यह पेड़ आसानी से उग जाता है. इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम (Annona Muricata) है. जबलपुर के आसपास के इलाकों में इसे लक्ष्मण फल या माम फल के नाम से जाना जाता है. जबलपुर के आसपास के जंगलों में भी यह प्रचुरता में है. डॉ ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि, यह रामफल और सीताफल की श्रेणी में आने बाला पेड़ है. जबलपुर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में इसके कई पेड़ लगाए गए हैं. कृषि विश्वविद्यालय इसकी पत्तियां भी बेचता है. सामान्य आदमी के लिए सस्ता इलाज है और यदि कोई चाहे तो कृषि विश्वविद्यालय से इसके पौधे खरीद सकता है.

वैज्ञानिक की व्यक्तिगत अनुभव: डॉ ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि, उन्होंने खुद अपनी मां को डॉक्टर की सलाह पर इस पेड़ की पत्तियों का काढ़ा पिलाया और उन्हें इससे फायदा हुआ था इसके साथ ही कृषि विश्वविद्यालय के बोर्ड के एक मेंबर के परिवार में भी किसी सदस्य को कैंसर हो गया था और उन्होंने भी जब इस पौधे की पत्तियों का काढ़ा मरीज को पिलाया तो कैंसर की सेकंड स्टेज में भी मरीज को फायदा हुआ था इसको मरीज को देने की विधि भी बड़ी सरल है पत्तियों को चाय के पत्तियों की तरह उबाल दिया जाता है और इस चाय का सेवन मरीज को करवा दिया जाता है ज्ञानेंद्र तिवारी का अनुभव है कि इससे मरीज की स्थिति जल्द सुधरने लगती है और यह शरीर के कई अंगों में होने वाले कैंसर पर प्रभावी है वही इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है जिस तरह का साइड इफेक्ट कैंसर की दूसरी दवाओं की वजह से होता है.

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सरकार को लगवाने चाहिए इसके बगीचे: बहुत सी एलोपैथिक दवाइयां पेड़ पौधों से बनाई जाती है, लेकिन इनके बारे में आम आदमी को जानकारी कम है. इसलिए एलोपैथिक दवाई के नाम पर आम आदमी आसानी से भरोसा कर लेता है. आयुर्वेदिक दवाओं पर आम आदमी का भरोसा थोड़ा कम है. हालांकि लक्ष्मण फल को धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि वैज्ञानिक आधार पर इलाज के लिए चुना गया है. इसलिए कैंसर की दवा का उपयोग सरकार को अपने चिकित्सालय में करवाना चाहिए. यदि जबलपुर के आसपास के वातावरण में पाए जाने वाले पौधे में महत्वपूर्ण तत्व पाए जा रहे हैं तो सरकार को इसे इस इलाके में बड़े पैमाने पर वह उगाना चाहिए.

जबलपुर कैंसर का इलाज

जबलपुर। जिले के वातावरण में एक ऐसा पेड़ उगता है जिसमें कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने की क्षमता पाई जाती है. इस पेड़ को उसके फल के नाम से जाना जाता है. इसे कहीं माम फल और कहीं पर लक्ष्मण फल कहां जाता है. हालांकि सबसे ज्यादा महत्व इसकी पत्तियों का है. यूं तो इस पेड़ को को पूरे देश में कहीं भी पैदा किया जा सकता है, लेकिन कैंसर की बीमारी से लड़ने के लिए इसमें जिस तत्व की जरूरत होती है वह जबलपुर के आसपास के वातावरण में पैदा हुए पौधों में ज्यादा है.

ऐनोसेटिसिन की प्रचुरता: जबलपुर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के लेक्चरर डॉक्टर ज्ञानेंद्र तिवारी का दावा है कि, जबलपुर में पाए जाने वाले लक्ष्मण फल के पेड़ की पत्तियों में (Annocatacin) की मात्रा प्रचुरता में पाई गई है. जबकि इसी पेड़ को देश के दूसरे इलाकों में भी उगाया गया, लेकिन वहां इस पौधे की पत्तियों में कैंसर से लड़ने वाला तत्व उतना नहीं पाया गया.

जबलपुर का वातावरण अनुकूल: जबलपुर के आसपास यह पेड़ आसानी से उग जाता है. इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम (Annona Muricata) है. जबलपुर के आसपास के इलाकों में इसे लक्ष्मण फल या माम फल के नाम से जाना जाता है. जबलपुर के आसपास के जंगलों में भी यह प्रचुरता में है. डॉ ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि, यह रामफल और सीताफल की श्रेणी में आने बाला पेड़ है. जबलपुर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में इसके कई पेड़ लगाए गए हैं. कृषि विश्वविद्यालय इसकी पत्तियां भी बेचता है. सामान्य आदमी के लिए सस्ता इलाज है और यदि कोई चाहे तो कृषि विश्वविद्यालय से इसके पौधे खरीद सकता है.

वैज्ञानिक की व्यक्तिगत अनुभव: डॉ ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि, उन्होंने खुद अपनी मां को डॉक्टर की सलाह पर इस पेड़ की पत्तियों का काढ़ा पिलाया और उन्हें इससे फायदा हुआ था इसके साथ ही कृषि विश्वविद्यालय के बोर्ड के एक मेंबर के परिवार में भी किसी सदस्य को कैंसर हो गया था और उन्होंने भी जब इस पौधे की पत्तियों का काढ़ा मरीज को पिलाया तो कैंसर की सेकंड स्टेज में भी मरीज को फायदा हुआ था इसको मरीज को देने की विधि भी बड़ी सरल है पत्तियों को चाय के पत्तियों की तरह उबाल दिया जाता है और इस चाय का सेवन मरीज को करवा दिया जाता है ज्ञानेंद्र तिवारी का अनुभव है कि इससे मरीज की स्थिति जल्द सुधरने लगती है और यह शरीर के कई अंगों में होने वाले कैंसर पर प्रभावी है वही इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है जिस तरह का साइड इफेक्ट कैंसर की दूसरी दवाओं की वजह से होता है.

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सरकार को लगवाने चाहिए इसके बगीचे: बहुत सी एलोपैथिक दवाइयां पेड़ पौधों से बनाई जाती है, लेकिन इनके बारे में आम आदमी को जानकारी कम है. इसलिए एलोपैथिक दवाई के नाम पर आम आदमी आसानी से भरोसा कर लेता है. आयुर्वेदिक दवाओं पर आम आदमी का भरोसा थोड़ा कम है. हालांकि लक्ष्मण फल को धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि वैज्ञानिक आधार पर इलाज के लिए चुना गया है. इसलिए कैंसर की दवा का उपयोग सरकार को अपने चिकित्सालय में करवाना चाहिए. यदि जबलपुर के आसपास के वातावरण में पाए जाने वाले पौधे में महत्वपूर्ण तत्व पाए जा रहे हैं तो सरकार को इसे इस इलाके में बड़े पैमाने पर वह उगाना चाहिए.

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