जबलपुर। जिले में खरीदी माफिया सरकारी खजाने पर डाका डाल रहा है. सरकारी खरीदी में चल रहा ये घोटाला एक-दो या तीन करोड़ का नहीं पूरे 36 करोड़ का है. तपती धूप और कतारों में लगे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए खरीदी केंद्रों पर कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ा था, लेकिन रसूखदारों और बड़े-बड़े व्यापारियों ने बैक डोर से हजारों टन धान तुलवा दी और किसी को कानों कान खबर नहीं लगी. इसी बीच एक ऑडियो क्लिप वायरल हो गई जिसके चलते ये पूरा घोटाला उजागर हो गया.
कहा जा रहा है कि इस ऑडियो क्लिप में जिला विपणन अधिकारी विवेक तिवारी और एक किसान के बीच धान खरीदी के भुगतान को लेकर बात हुई है. जिसमें किसान धान का भुगतान नहीं होने पर अधिकारी को धमका रहा है. इसी बीच अधिकारी ने किसान को बताया कि खरीदी में गड़बड़ी होने की वजह से आपका भुगतान भी रुक गया है.
ऑडियो क्लिप में किसान सरकारी अधिकारी को साफ तौर पर भुगतान न होने पर गोली मारने की धमकी दे रहा है. बावजूद इसके अधिकारी ने कहीं भी इस मामले की शिकायत दर्ज नहीं कराई है. लेकिन ऑडियो क्लिप के लीक हो जाने से धान की सरकारी खरीदी में हुई धांधली की पोल खुल गई.
जबलपुर के सिहोरा और पनागर ब्लॉक में करीब 18 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी गई है. जिसकी कीमत करीब 36 करोड़ रूपए है. ये धान सरकारी मानक पर खरी नहीं उतरी सरकारी अधिकारियों का ये दावा है कि खरीदी माफियाओं ने किसानों के नाम पर ये धान बेची है. मामले में जांच शुरू हुई तो पता चला कि इनमें 13 सौ से ज्यादा किसान फर्जी हैं. जिन्होंने धान की खेती की ही नहीं लेकिन सरकारी खरीद में धान बेची गई है.
जबलपुर जिला सहकारी बैंक के सीईओ ज्ञानेंद्र पांडे का कहना है कि इस घोटाले में शामिल पनागर और सिहोरा के कई सोसायटी प्रबंधकों के खिलाफ जांच शुरू हो गई है. जो भी कर्मचारी इस में लिप्त हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा भारत कृषक समाज के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने भी इस घोटाले के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर हमें जानकारी दी कि हर साल लगभग 50 से 100 करोड़ रुपए का घोटाला धान और गेहूं खरीदी में किया जाता है. बीते 2013 से लेकर अब तक ऐसा एक भी साल बकाया नहीं गया है कि जब जबलपुर में गेहूं धान या चने की खरीदी विवादों में न आई हो.
नोट- ईटीवी भारत इस ऑडियो क्लिप की पुष्टि नहीं करता है.