जबलपुर। हिंदू मान्यता में बिना पूजा-पाठ के कोई काम नहीं होता. धन अर्जन करना भी हिंदुओं में पूजा पाठ से ही शुरू होता है. माता महालक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है. देशभर में महालक्ष्मी की पूजा के अलग-अलग तरीके के विधान है. इस बारे में जबलपुर के पंडित मुन्ना तिवारी का कहना है कि सच्चे मन से यदि माता महालक्ष्मी की पूजा की जाए, तो माता भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है और पूजा करने वाले को संपन्नता प्राप्त होती है.
पूजा की विधिः माता महालक्ष्मी की पूजा के लिए याचक को पहले खुद की शुद्धि करनी चाहिए. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए. महालक्ष्मी की मूर्ति को एक सिंहासन पर बिराज कर पूजा शुरू करनी होती है. माता की स्थापना इस तरह से करनी चाहिए कि पूजा करने वाले का मुख ईशान कोण या उत्तर दिशा की तरफ हो. इसके बाद एक कलश स्थापना की जाती है. एक धातु के लोटे या मिट्टी के मटके में शुद्ध जल भरकर आम के पत्ते लगाए जाते हैं और इस पर एक नारियल रखा जाता है और कलश पर स्वास्तिक चिंन्ह बनाया जाता है. कलश के नीचे चावल या गेहूं रखा जाता है. इसके बाद पवित्र जल से माता महालक्ष्मी की मूर्ति को स्नान करवाया जाता है और रोरी चंदन, अक्षत कुमकुम से माता का श्रंगार किया जाता है. माता लक्ष्मी की श्री सूक्त का पाठ किया जाता है.
कमल गट्टा से खुश होती हैं माताः सामान्य पूजा के अलावा माता महालक्ष्मी की पूजा में धना गुड और कमलगट्टा माता को अर्पित किए जाते हैं. पंडित मुन्ना महाराज का कहना है कि कमलगट्टे से माता खुश होती हैं. महालक्ष्मी को कमल बहुत पसंद है. इसलिए यदि संभव हो सके तो कमलगट्टे से हवन करने पर विशेष लाभ मिलता है.
वैभव लक्ष्मी पूजा के नियमः सामान्य पूजा के अलावा माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए वैभव लक्ष्मी का व्रत भी किया जाता है. सामान्य तौर पर यह व्रत महिलाएं करती हैं. शुक्रवार माता महालक्ष्मी का दिन माना जाता है. इस दिन वैभव लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाओं को उपवास रखना पड़ता है. पूजा के नियम बहुत ही सरल है, कोई भी महिला खुद ही यह पूजा कर सकती है. वैभव लक्ष्मी की पूजा में चांदी या सोने के बने हुए जेवर की पूजा भी की जाती है.
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ऐसा कहा जाता है कि यदि 11 शुक्रवार आप वैभव लक्ष्मी का व्रत कर लेते हैं तो आपकी मनोकामना पूरी होती है. वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन भी बहुत सरल है. इसमें महिलाएं इकट्ठे होकर माता महालक्ष्मी का पूजन कर सकती हैं. लेकिन केवल पूजा-पाठ से ही माता लक्ष्मी कृपा नहीं बरसाती पल किसके लिए पुरुषार्थ भी करना होता है. कोई भी ऐसा काम जिसमें मेहनत हो ईमानदारी हो या सेवा हो इसके जरिए जो पैसा कमाया जाता है, उसे माता महालक्ष्मी का प्रसाद मानकर इस्तेमाल करना चाहिए. इससे परिवार में सुख और शांति रहती है. वहीं बुरे कामों से कमाया हुआ पैसा माता महालक्ष्मी को प्रसन्न नहीं करता और इस पैसे से बुरे परिणाम सामने आते हैं.