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14 करोड़ में चुना जाता है एक सांसद !, पूरे देश में चुनाव कराने में खर्च हो जाए हैं अरबों रुपए - जिला निर्वाचन आयोग

जबलपुर में लोकसभा चुनाव में करीब 14 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अगर पूरे देश में देखें तो 545 सांसदों के चुनाव के लिए लगभग 7,600 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं.

14 करोड़ में चुना जाता है एक सांसद!
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Published : May 3, 2019, 12:39 PM IST

जबलपुर। क्या आप जानते हैं कि लोकसभा का एक सांसद चुनने में कितना पैसा खर्च होता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जबलपुर लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए लगभग 14 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जिसमें प्रत्याशियों का खर्च शामिल नहीं किया गया है.

14 करोड़ में चुना जाता है एक सांसद!

कलेक्टर छवि भारद्वाज ने बताया कि लोकसभा चुनाव में लगभग 14 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. हालांकि जिला निर्वाचन आयोग को अब तक सिर्फ तीन करोड़ रुपए ही मिले हैं. कलेक्टर ने बताया कि ये पैसा विज्ञापन, कर्मचारियों का मानदेय, गाड़ियों में डीजल भरवाने, बैलट बॉक्स जैसे इंतजामों के लिए खर्च होता है.

लगभग 7,600 करोड़ रुपए में चुने जाते हैं 545 सांसद

भारत में 545 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होते हैं. अगर 14 करोड़ के हिसाब से देखें, तो पूरे देश में लगभग 7,600 करोड़ रुपए संसद सदस्यों को चुनने में खर्च हो जाता है, जबकि महानगरों में तो ये आंकड़ा 14 करोड़ से ज्यादा ही होता होगा. उस हिसाब से 7,600 करोड़ का आंकड़ा छोटा ही है.

प्रत्याशियों का खर्च सरकारी खर्च के बराबर

चुनाव आयोग ने लोकसभा प्रत्याशी के खर्च की सीमा 70 लाख रूपए तय की है, लेकिन गैरकानूनी तरीके से एक लोकसभा चुनाव में कितना पैसा खर्च होता है, इसका सही-सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है. अनुमान लगाया जाए तो एक प्रत्याशी 4 से 5 करोड़ रुपया खर्च करता है.

जबलपुर। क्या आप जानते हैं कि लोकसभा का एक सांसद चुनने में कितना पैसा खर्च होता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जबलपुर लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए लगभग 14 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जिसमें प्रत्याशियों का खर्च शामिल नहीं किया गया है.

14 करोड़ में चुना जाता है एक सांसद!

कलेक्टर छवि भारद्वाज ने बताया कि लोकसभा चुनाव में लगभग 14 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. हालांकि जिला निर्वाचन आयोग को अब तक सिर्फ तीन करोड़ रुपए ही मिले हैं. कलेक्टर ने बताया कि ये पैसा विज्ञापन, कर्मचारियों का मानदेय, गाड़ियों में डीजल भरवाने, बैलट बॉक्स जैसे इंतजामों के लिए खर्च होता है.

लगभग 7,600 करोड़ रुपए में चुने जाते हैं 545 सांसद

भारत में 545 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होते हैं. अगर 14 करोड़ के हिसाब से देखें, तो पूरे देश में लगभग 7,600 करोड़ रुपए संसद सदस्यों को चुनने में खर्च हो जाता है, जबकि महानगरों में तो ये आंकड़ा 14 करोड़ से ज्यादा ही होता होगा. उस हिसाब से 7,600 करोड़ का आंकड़ा छोटा ही है.

प्रत्याशियों का खर्च सरकारी खर्च के बराबर

चुनाव आयोग ने लोकसभा प्रत्याशी के खर्च की सीमा 70 लाख रूपए तय की है, लेकिन गैरकानूनी तरीके से एक लोकसभा चुनाव में कितना पैसा खर्च होता है, इसका सही-सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है. अनुमान लगाया जाए तो एक प्रत्याशी 4 से 5 करोड़ रुपया खर्च करता है.

Intro:14 करोड़ रुपए में चुना जाता है एक सांसद
पूरी संसद चुनने में जनता की गाढ़ी कमाई का लगभग साढे सात हजार करोड़ होता है खर्च
महंगा होता लोकतंत्र


Body:जबलपुर कभी आपने कल्पना की है कि आखिर लोकसभा का एक सांसद चुनने में जनता का कितना पैसा खर्च होता है जबलपुर लोकसभा के चुनाव में लगभग 14 करोड़ रुपया खर्च हुआ है इसमें प्रत्याशियों का खर्च शामिल नहीं है

जबलपुर मैं 14 करोड़ खर्च होने की संभावना

भारतीय लोकतंत्र खर्चीला होता जा रहा है जबलपुर में हुए लोकसभा चुनाव में कुल मिलाकर लगभग 14 करोड रुपया खर्च होने की उम्मीद है हालांकि अभी जिला निर्वाचन आयोग को मात्र दो-तीन करोड़ों रुपया ही मिला है बाकी पैसा बाद में मिलने की संभावना है लेकिन जबलपुर कलेक्टर का कहना है कि विधानसभा चुनाव में लगभग इसी तरह का चुनाव हुआ था जिसका कुल खर्च 14 करोड़ बैठा था चुनाव खर्च में विज्ञापन कर्मचारियों का मानदेय गाड़ियों का डीजल बैलट बॉक्स बैलट पेपर कर्मचारियों का खाना पीना रहने रुकने की व्यवस्था सुरक्षा के इंतजाम शामिल है हालांकि है खर्च इससे कहीं ज्यादा है क्योंकि इसमें शामिल अधिकारी कर्मचारी मानदेय के अलावा उस दौरान का वेतन भी लेते हैं जबकि उस दौरान उस वेतन के एवज में कोई काम नहीं किया जाता

लगभग 7600 करोड रुपए में चुने जाते हैं 545 सांसद

भारत में 545 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव होते हैं यदि 14 करोड़ के हिसाब से लगाया जाए तो लगभग 7600 करोड रुपया संसद सदस्यों को चुनने में खर्च हो जाता है बल्कि कई बड़े महानगरों और दूरदराज इलाकों में इससे भी ज्यादा पैसा खर्च होता है इसलिए यह रकम और ज्यादा बढ़ सकती है

प्रत्याशियों का खर्चा सरकारी खर्चे के बराबर
यह तो केवल सरकार की ओर से व्यवस्थाओं में होने वाला खर्च है इसमें प्रत्याशियों को खर्च शामिल नहीं है इसके अलावा लोकसभा का प्रत्याशी लगभग 70 लाख रुपया खर्च कर सकता है 70 लाख तक की सीमा चुनाव आयोग ने बनाई है लेकिन गैरकानूनी तरीके से एक लोकसभा चुनाव में कितना पैसा खर्च होता है इसका सही सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है लेकिन एक अनुमान के तहत प्रत्याशी भी लगभग 4 से 5 करोड़ रूपया खर्च करता है इस तरीके से यदि देखा जाए तो भारतीय लोकतंत्र एक बहुत ही महंगी व्यवस्था हो गई है जिसमें ना सिर्फ प्रत्याशियों की ओर से बल्कि सरकार की ओर से भी अनाप-शनाप खर्च किया जा रहा है






Conclusion:सवाल इस बात का है कि जिस सांसद को चुनने में जनता की गाढ़ी कमाई का और वो रुपया खर्च होता है उसके बाद वह सांसद यदि अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए बिक जाए या संसद में जनता की बात जनता की समस्याओं की बात ना करें यह संसद में अपनी भूमि का सही ढंग से ना निभाए तो इस खर्च का कोई मतलब नहीं बाइट छवि भारद्वाज कलेक्टर जबलपुर
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