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लॉकडाउन में टैक्सी संचलकों की टूटी कमर, टैक्सी चालकों को भी झेलनी पड़ रही बेरोजगारी की मार

जबलपुर के टैक्सी संचालकों की गाड़ियां कई दिनों से खड़ी हुईं हैं, साथ ही संचालकों को वाहनों की किस्त के लिए बैंक प्रबंधन लगातार परेशान कर रहा है, वहीं ट्रैवल्स वालों के यहां काम करने वाले भी बेरोजगारी का मार झेल रहे हैं.

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Published : May 5, 2020, 11:00 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस के लॉकडाउन में टैक्सी संचालक पूरी तरह से कंगाल हो गए हैं. एक तरफ बीते 40 दिनों से टैक्सी संचालकों की टैक्सियां घरों पर खड़ी हैं तो, वहीं दूसरी ओर वाहनों की किस्त के लिए बैंक प्रबंधन लगातार टैक्सी संचालकों को परेशान कर रहे हैं.

टैक्सी संचलक

जबलपुर शहर में करीब 700 ट्रैवल्स हैं और इन ट्रेवल्स में 5 हजार से ज्यादा गाड़ियां संचालित होती हैं. लॉकडाउन में ये सभी गाड़ियां खड़ी हुई हैं और इन्हें कुछ काम नहीं मिल रहा है. जिन ट्रेवल्स संचालकों के पास कुछ काम आता है तो उनके सामने अनुमति का रोड़ा आ जाता है, ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या भी खड़ी हुई है.

टैक्सी संचालक ब्रज कुमार बताते हैं कि उनके पास चार टैक्सी हैं, जिसमें से तीन टैक्सियों की किस्त भी बैंक को देनी पड़ रही है, लेकिन वर्तमान में गाड़ियां चल नहीं रही हैं और खड़े-खड़े खराब भी हो रही हैं. बीते 22 मार्च के बाद से टैक्सी बिल्कुल भी नहीं चली हैं. यही वजह है कि टैक्सी संचालकों के घर पर अब फाका पड़ने लगा है. वहीं टैक्सी संचालकों के यहां काम करने वाले चालक भी इस लॉकडाउन में बेरोजगारी झेल रहे हैं.

जबलपुर। कोरोना वायरस के लॉकडाउन में टैक्सी संचालक पूरी तरह से कंगाल हो गए हैं. एक तरफ बीते 40 दिनों से टैक्सी संचालकों की टैक्सियां घरों पर खड़ी हैं तो, वहीं दूसरी ओर वाहनों की किस्त के लिए बैंक प्रबंधन लगातार टैक्सी संचालकों को परेशान कर रहे हैं.

टैक्सी संचलक

जबलपुर शहर में करीब 700 ट्रैवल्स हैं और इन ट्रेवल्स में 5 हजार से ज्यादा गाड़ियां संचालित होती हैं. लॉकडाउन में ये सभी गाड़ियां खड़ी हुई हैं और इन्हें कुछ काम नहीं मिल रहा है. जिन ट्रेवल्स संचालकों के पास कुछ काम आता है तो उनके सामने अनुमति का रोड़ा आ जाता है, ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या भी खड़ी हुई है.

टैक्सी संचालक ब्रज कुमार बताते हैं कि उनके पास चार टैक्सी हैं, जिसमें से तीन टैक्सियों की किस्त भी बैंक को देनी पड़ रही है, लेकिन वर्तमान में गाड़ियां चल नहीं रही हैं और खड़े-खड़े खराब भी हो रही हैं. बीते 22 मार्च के बाद से टैक्सी बिल्कुल भी नहीं चली हैं. यही वजह है कि टैक्सी संचालकों के घर पर अब फाका पड़ने लगा है. वहीं टैक्सी संचालकों के यहां काम करने वाले चालक भी इस लॉकडाउन में बेरोजगारी झेल रहे हैं.

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