जबलपुर। मार्च 2020 के बाद एक बार फिर देश में कोरोना महामारी की लहर तेज हो गई है. हालात अब फिर से कुछ उसी तरह के नजर आ रहे है, जो बीते साल थे. मजदूरों में फिर से भय सताने लगा है कि कही फिर टोटल लॉकडाउन जैसे हालात न बन जाए.
अभी से आना कम हो गए मजदूर फैक्ट्रियों में
करीब 400 से छोटे-बड़े उद्योग है. इन उद्योगों में हजारों मजदूर काम करते है, पर अब जैसे-जैसे लोगों को एहसास होने लगा है कि कभी भी लॉकडाउन की स्थिति बन सकती है, तो मजदूरों के मन में भय उत्पन्न लगा है. यही कारण है कि अभी से ही कई मजदूरों ने फैकट्री आना बंद कर दिया है. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 10 फीसदी मजदूरों ने फैक्ट्री आना बन्द कर दिया है.
नहीं लगना चाहिए लॉकडाउन
मजदूर बताते है कि बीते 2020 में जब लॉकडाउन लगा था, उस समय उनका पूरा परिवार टेंशन में आ गया था. कुछ समय तो मालिक ने मदद की, पर एक समय के बाद वो भी पीछे हट गए. लिहाजा लॉकडाउन के समय मजदूर बेरोजगार हो गए. मजदूरों का कहना है कि कोरोना से निपटने का हल सरकार निकाल सकती है, लेकिन लॉकडाउन कोई समाधान नहीं है.
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मालिक कब तक देंगे मजदूरों का साथ
मजदूरों के फैक्ट्री में न आने से मालिक की भी चिंता बढ़ने लगी है. बीते एक सप्ताह से जो कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है. उसको देखते हुए मजदूरों का फैक्ट्री आना कम हो गया है, जिसको लेकर मलिक भी सख्ते में आ गए है.
उद्योगपति अतुल गुप्ता बताते है कि जिस तरह से एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे में लॉकडाउन के चांस दिखने लगे है, जिससे मजदूरों और मालिकों में भी खौफ आने लगा है. उन्होंने कहा कि अगर इस बार लॉकडाउन फिर से लगता है, तो उसका असर न सिर्फ फैक्ट्री मालिक बल्कि मजदूरों और उनके परिवार वालों पर भी पड़ेगा. इसलिए सरकार से गुजारिश है कि वह जो भी निर्णय लें, सभी के हित को देखते हुए लें.