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कोरोना ने एक बार फिर मचाया हाहाकार, मजदूरों को सताने लगा लॉकडाउन का डर - लॉकडाउन का डर

बीते एक साल से पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण ने हाहाकार मचा रखा है. आमजन हो या फिर बड़े-बड़े उद्योग जगत सभी को कोरोना ने जकड़ रखा है. ऐसे में एक बार फिर जब कोरोना वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है, तो मजदूर और उद्योग में लॉकडाउन का डर सताने लगा है.

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मजदूरों को सताने लगा लॉकडाउन का डर
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Published : Apr 9, 2021, 1:41 PM IST

जबलपुर। मार्च 2020 के बाद एक बार फिर देश में कोरोना महामारी की लहर तेज हो गई है. हालात अब फिर से कुछ उसी तरह के नजर आ रहे है, जो बीते साल थे. मजदूरों में फिर से भय सताने लगा है कि कही फिर टोटल लॉकडाउन जैसे हालात न बन जाए.

अभी से आना कम हो गए मजदूर फैक्ट्रियों में
करीब 400 से छोटे-बड़े उद्योग है. इन उद्योगों में हजारों मजदूर काम करते है, पर अब जैसे-जैसे लोगों को एहसास होने लगा है कि कभी भी लॉकडाउन की स्थिति बन सकती है, तो मजदूरों के मन में भय उत्पन्न लगा है. यही कारण है कि अभी से ही कई मजदूरों ने फैकट्री आना बंद कर दिया है. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 10 फीसदी मजदूरों ने फैक्ट्री आना बन्द कर दिया है.

नहीं लगना चाहिए लॉकडाउन
मजदूर बताते है कि बीते 2020 में जब लॉकडाउन लगा था, उस समय उनका पूरा परिवार टेंशन में आ गया था. कुछ समय तो मालिक ने मदद की, पर एक समय के बाद वो भी पीछे हट गए. लिहाजा लॉकडाउन के समय मजदूर बेरोजगार हो गए. मजदूरों का कहना है कि कोरोना से निपटने का हल सरकार निकाल सकती है, लेकिन लॉकडाउन कोई समाधान नहीं है.


छिंदवाड़ा : मूर्तिकारों को सता रहा लॉकडाउन का डर, खतरे में रोजगार


मालिक कब तक देंगे मजदूरों का साथ
मजदूरों के फैक्ट्री में न आने से मालिक की भी चिंता बढ़ने लगी है. बीते एक सप्ताह से जो कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है. उसको देखते हुए मजदूरों का फैक्ट्री आना कम हो गया है, जिसको लेकर मलिक भी सख्ते में आ गए है.

उद्योगपति अतुल गुप्ता बताते है कि जिस तरह से एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे में लॉकडाउन के चांस दिखने लगे है, जिससे मजदूरों और मालिकों में भी खौफ आने लगा है. उन्होंने कहा कि अगर इस बार लॉकडाउन फिर से लगता है, तो उसका असर न सिर्फ फैक्ट्री मालिक बल्कि मजदूरों और उनके परिवार वालों पर भी पड़ेगा. इसलिए सरकार से गुजारिश है कि वह जो भी निर्णय लें, सभी के हित को देखते हुए लें.

मजदूरों को सताने लगा लॉकडाउन का डर
इधर महाकौशल उद्योग संघ के अध्यक्ष डीआर जैसवानी बताते हैं कि बीते साल करीब 3 माह के लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक हुआ, तो जन जीवन तो पटरी पर आ गया, पर उद्योग संघ इससे उभर नहीं पाया है. एक नजर जबलपुर के उद्योग क्षेत्र परऔद्योगिक क्षेत्र रिछाई में करीब 100 इकाइयां लगी हुई हैं, जिसमें करीब ढाई हजार से ज्यादा मजदूर कार्यरत हैं. वहीं औद्योगिक संस्थान अधारताल में डेढ़ सौ फैक्ट्रियों में 2000 मजदूर काम कर रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र उमरिया-डूंगरिया में 50 फैक्ट्रियों में 500, औद्योगिक क्षेत्र मनेरी में 100 इकाइयां लगी हुई है. वहां करीब 1500 मजदूर कार्य कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी अलग-अलग उत्पादन करने वाली 100 इकाइयां लगी हुई है, जिसमें करीब 15 मजदूर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

जबलपुर। मार्च 2020 के बाद एक बार फिर देश में कोरोना महामारी की लहर तेज हो गई है. हालात अब फिर से कुछ उसी तरह के नजर आ रहे है, जो बीते साल थे. मजदूरों में फिर से भय सताने लगा है कि कही फिर टोटल लॉकडाउन जैसे हालात न बन जाए.

अभी से आना कम हो गए मजदूर फैक्ट्रियों में
करीब 400 से छोटे-बड़े उद्योग है. इन उद्योगों में हजारों मजदूर काम करते है, पर अब जैसे-जैसे लोगों को एहसास होने लगा है कि कभी भी लॉकडाउन की स्थिति बन सकती है, तो मजदूरों के मन में भय उत्पन्न लगा है. यही कारण है कि अभी से ही कई मजदूरों ने फैकट्री आना बंद कर दिया है. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 10 फीसदी मजदूरों ने फैक्ट्री आना बन्द कर दिया है.

नहीं लगना चाहिए लॉकडाउन
मजदूर बताते है कि बीते 2020 में जब लॉकडाउन लगा था, उस समय उनका पूरा परिवार टेंशन में आ गया था. कुछ समय तो मालिक ने मदद की, पर एक समय के बाद वो भी पीछे हट गए. लिहाजा लॉकडाउन के समय मजदूर बेरोजगार हो गए. मजदूरों का कहना है कि कोरोना से निपटने का हल सरकार निकाल सकती है, लेकिन लॉकडाउन कोई समाधान नहीं है.


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मालिक कब तक देंगे मजदूरों का साथ
मजदूरों के फैक्ट्री में न आने से मालिक की भी चिंता बढ़ने लगी है. बीते एक सप्ताह से जो कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है. उसको देखते हुए मजदूरों का फैक्ट्री आना कम हो गया है, जिसको लेकर मलिक भी सख्ते में आ गए है.

उद्योगपति अतुल गुप्ता बताते है कि जिस तरह से एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे में लॉकडाउन के चांस दिखने लगे है, जिससे मजदूरों और मालिकों में भी खौफ आने लगा है. उन्होंने कहा कि अगर इस बार लॉकडाउन फिर से लगता है, तो उसका असर न सिर्फ फैक्ट्री मालिक बल्कि मजदूरों और उनके परिवार वालों पर भी पड़ेगा. इसलिए सरकार से गुजारिश है कि वह जो भी निर्णय लें, सभी के हित को देखते हुए लें.

मजदूरों को सताने लगा लॉकडाउन का डर
इधर महाकौशल उद्योग संघ के अध्यक्ष डीआर जैसवानी बताते हैं कि बीते साल करीब 3 माह के लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक हुआ, तो जन जीवन तो पटरी पर आ गया, पर उद्योग संघ इससे उभर नहीं पाया है. एक नजर जबलपुर के उद्योग क्षेत्र परऔद्योगिक क्षेत्र रिछाई में करीब 100 इकाइयां लगी हुई हैं, जिसमें करीब ढाई हजार से ज्यादा मजदूर कार्यरत हैं. वहीं औद्योगिक संस्थान अधारताल में डेढ़ सौ फैक्ट्रियों में 2000 मजदूर काम कर रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र उमरिया-डूंगरिया में 50 फैक्ट्रियों में 500, औद्योगिक क्षेत्र मनेरी में 100 इकाइयां लगी हुई है. वहां करीब 1500 मजदूर कार्य कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी अलग-अलग उत्पादन करने वाली 100 इकाइयां लगी हुई है, जिसमें करीब 15 मजदूर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
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