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केंद्र की नीतियों से खुश नहीं हैं प्रदेश के कृषक, जानिए क्या है उनकी मांग

प्रदेश का किसान केंद्र सरकार की नीतियों से नाखुश है. किसानों सरकार पर वादाखिलाफा का आरोप लगाते हुए तेलंगाना सरकार द्वारा चलाई जा रही फसल लागात बीमा योजना लागू करने की मांग की है.

केंद्र की नीतियों से खुश नहीं हैं प्रदेश के कृषक
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Published : Aug 4, 2019, 10:25 AM IST

जबलपुर। इन दिनों किसान धान की रोपाई कर रहे हैं, लेकिन फसल के खराब होनी की चिंता किसानों को अभी ले सताने लगी है. किसान केंद्र सरकार से नाखुश नजर आ रहा है. किसानों का कहना है कि केंद्र या राज्य सरकार ने अभी तक ऐसी कोई भी योजना नहीं बनाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई हो सके. किसानों की मांग है कि सरकार तेलंगाना मॉडल पर फसल लागत बीमा योजना प्रदेश में भी लागू करे.

केंद्र की नीतियों से खुश नहीं हैं प्रदेश के कृषक


भारतीय किसान संघ के किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने जो किसान सम्मान निधि योजना लागू की है, वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. किसानों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले सराकर ने तेलंगाना मॉडल पर आधारित फलस लागता बीमा लागू करने का वादा किया. तेलंगाना सरकार किसानों को प्रति एकड़ लागत देती है. अगर यह फार्मूला लागू किया जाता तो खेती लाभ का धंधा बन जाती, लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया.


किसानों का कहना है कि पीएम मोदी ने पिछले कार्यकाल में एक घोषणा की थी की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है. लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दोबारा शपथ लेंगे तो किसानों से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं करेंगे, लेकिन किसानों का कहना है उन्हें जो उम्मीद थी वैसा कुछ नहीं हुआ. ऐसे किसान केंद्र सरकार ने नाराज है.

जबलपुर। इन दिनों किसान धान की रोपाई कर रहे हैं, लेकिन फसल के खराब होनी की चिंता किसानों को अभी ले सताने लगी है. किसान केंद्र सरकार से नाखुश नजर आ रहा है. किसानों का कहना है कि केंद्र या राज्य सरकार ने अभी तक ऐसी कोई भी योजना नहीं बनाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई हो सके. किसानों की मांग है कि सरकार तेलंगाना मॉडल पर फसल लागत बीमा योजना प्रदेश में भी लागू करे.

केंद्र की नीतियों से खुश नहीं हैं प्रदेश के कृषक


भारतीय किसान संघ के किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने जो किसान सम्मान निधि योजना लागू की है, वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. किसानों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले सराकर ने तेलंगाना मॉडल पर आधारित फलस लागता बीमा लागू करने का वादा किया. तेलंगाना सरकार किसानों को प्रति एकड़ लागत देती है. अगर यह फार्मूला लागू किया जाता तो खेती लाभ का धंधा बन जाती, लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया.


किसानों का कहना है कि पीएम मोदी ने पिछले कार्यकाल में एक घोषणा की थी की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है. लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दोबारा शपथ लेंगे तो किसानों से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं करेंगे, लेकिन किसानों का कहना है उन्हें जो उम्मीद थी वैसा कुछ नहीं हुआ. ऐसे किसान केंद्र सरकार ने नाराज है.

Intro:मोदी सरकार टू से खुश नहीं है किसान तेलंगाना मॉडल पर फसल लागत फसल बीमा नीति में सुधार और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सुधार की मांग


Body:जबलपुर के पास तेवर गांव में राजाराम पटेल इन दिनों खेत में धान की रोपाई कर रहे हैं कम बारिश की वजह से इनकी धान सूख रही है लेकिन इन्हीं भगवान पर भरोसा है कि इन्होंने जो लागत लगाई है भगवान इससे ज्यादा देगा हालांकि इन्हें सरकार पर भरोसा नहीं है क्योंकि अभी तक केंद्र और राज्य सरकार ने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है जिसमें लागत सुरक्षित हो सके राजाराम अकेले ऐसे किसान नहीं है बल्कि यह देश के सभी किसानों का हाल है


डेढ़ गुनी भी नहीं हुई किसान की आय
जबलपुर देश की राजनीति में किसान केंद्र बिंदु में है लोकसभा चुनाव में भी किसानों से जुड़े मुद्दे पर काफी चर्चा हुई थी और नरेंद्र मोदी ने पिछले कार्यकाल में एक घोषणा की थी की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है लोगों को उम्मीद थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दोबारा शपथ लेंगे तो किसानों से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं लेकिन किसानों का कहना है उन्हें जो उम्मीद थी वैसा नहीं हुआ

आर एस एस का किसान भी मोदी से नाराज
किसान सामान्य तौर पर सरकार से खफा ही रहता है लेकिन यदि आर एस एस का अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ता भी यदि मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं है तो मामला गंभीर है भारतीय किसान संघ के किसानों का कहना है कि उन्हें जितनी उम्मीद थी मोदी सरकार ने वह काम नहीं किया ₹6000 की किसान सम्मान निधि ऊंट के मुंह में जीरा है चुनाव के ठीक पहले तेलंगाना मॉडल पर किसानों को प्रति एकड़ लागत देने की बात कही गई थी यदि यह फार्मूला लागू किया जाता तो खेती तुरंत ही लाभ का धंधा बन जाती लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया बल्कि चुनाव के बाद यह चर्चा ही शांत हो गई किसानों का कहना है कि इसके अलावा कोई दूसरी नीति अभी तक नजर नहीं आई है जिसे किसान हित में कोई बड़ा कदम माना जाए कुल मिलाकर किसान मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में फिलहाल बहुत खुश नजर नहीं आ रहा है

फसल बीमा का फायदा किसानों को नहीं मिला
मोदी सरकार की फसल बीमा योजना का लाभ सही ढंग से किसानों को नहीं मिल पाया पशुपालन खाद्य प्रसंस्करण आधुनिक खेती यह सब बातें मोदी जी के भाषण में जरूर सुनने मिली लेकिन इनका फायदा किसानों को नहीं मिला


Conclusion:मध्य प्रदेश का किसान राजनीति मैं फस गया है राज्य सरकार का कर्ज माफी का लोभ अभी भी जिंदा है लोगों को उम्मीद है कि कांग्रेस किसानो के कर्जे माफ कर देगी और यदि कांग्रेस ने ऐसा कर दिया तो भारतीय जनता पार्टी को किसानों को अपने पक्ष में लाने के लिए इससे बड़ा कदम उठाना होगा जो फिलहाल नजर नहीं आ रहा है
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