जबलपुर। कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए 'आपदा को अवसर में बदलने' और 'वोकल फॉर लोकल' होने की अपील की थी. पीएम मोदी की अपील को जबलपुर के किसानों ने सही साबित कर दिखाया है. जहां एक ओर कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह मजदूर ना मिलने से किसानों की फसलें खेत में ही खराब हो रहीं थी, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन किसानों के लिए लाभदायक साबित हुआ है.
जबलपुर और आसपास के क्षेत्र में खरीफ के मौसम में धान की खेती की जाती है. धान में बड़ी तादाद में मजदूरों की जरूरत होती है. कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से किसानों को चिंता सता रही थी कि इस समय में मजदूर मिलना मुश्किल होगा. क्योंकि ज्यादातर मजदूर शहर में काम करने के लिए जाते हैं इसलिए किसानों को धान की खेती करने के लिए पर्याप्त मात्रा में मजदूर नहीं मिल पाते थे, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ. इस साल लॉकडाउन की वजह से शहरों में ज्यादातर कामकाज बंद हो गए हैं, जिससे काम करने वाले मजदूर खाली हो गए और उनके सामने रोजगार का संकट मंडराने लगा, लेकिन यह संकट किसानों के लिए फायदे का साबित हुआ.
किसानों को खरीफ के मौसम में धान रोपाई से लेकर कटाई तक बड़ी मात्रा में मजदूरों की जरुरत होती है. बेरोजगार होने की वजह से अब किसानों के पास मजदूरों की कमी नहीं होगी. वहीं मजदूर भी कोरोना काल में काम मिलने से खुश हैं. मजदूर का कहना है कि शहरों में उनका रोजगार पूरी तरह से चौपट हो गया था, लेकिन गांव में उन्हें लगभग 200 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी मिल रही है. ऐसे में मजदूरों का गुजारा हो जाता है और समय-समय पर पर्याप्त काम मिलने से कोरोना काल में परिवार का पेट पालने में आसानी हो जाती है.
वहीं किसानों का कहना है कि यदि मशीनों के बजाए हाथ से फसलों की कटाई होती है, तो इससे उन्हें भी फायदा होता है. हार्वेस्टर से भूसा नहीं बन पाता है. लेकिन यदि मजदूर फसल काटते हैं तो भूसा बन जाता है, जो मवेशियों के काम आता है. अभी भी शहरों में रोजगार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हुई है, इसलिए ऐसा लगता है कि खरीफ की कटाई के समय भी किसानों को मजदूरों की कमी की समस्या का नहीं होगी.