जबलपुर। सजा पूरी होने के बावजूद एक शख्स को तीन साल 11 माह 5 दिन जेल में बिताने पड़े. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट जस्टिस एसए धर्माधिकारी ने मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए पीड़ित को दो माह के अंदर तीन लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने के आदेश जारी किए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने दो माह में जांच कर रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए. कोर्ट की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जांच में दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ विधिवत कार्रवाई करें.
हत्या के मामले में हुई थी सजा : बता दें कि छिंदवाड़ा जिले के थाना भिचुवा अंतर्गत ग्राम पथरी निवासी इंदल सिंह की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि जिला न्यायालय ने हत्या के मामले में 14 मार्च 2005 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अपराध को गैर इरादतन हत्या का मानते हुए सजा की अवधि 5 साल तथा जुर्माना 1 हजार रुपये रखा.
सजा पूरी होने के बाद भी नहीं छोड़ा : इस आदेश की प्रति रजिस्टर डाक के माध्यम से जेल अधीक्षक व अतिरिक्त जिला न्यायाधीश छिंदवाड़ा को भेजी गयी थी. सजा की अवधि 25 सितम्बर 2009 को पूर्ण हो जाने के बावजूद उसे जेल से रिहा नहीं किया गया. उसके अधिवक्ता ने 25 जून 2012 में उच्च न्यायालय के आदेश के साथ जेल अधीक्षक तथा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को पत्र लिखा था. इसके बाद अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने रिहाई वारंट जारी किया. इसके बाद उसे 2 जुलाई 2012 को रिहा किया गया.
अवैध रूप से हिरासत का मुआवजा मांगा : याचिका में कहा गया है कि 3 साल 11 माह 5 दिन उसे अवैध हिरासत में रखा गया. याचिका में पूरन सिंह प्रकरण का हवाला देते हुए अवैध हिरासत के लिए मुआवजे मांग गया है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिला व सत्र न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि 1 जुलाई 2012 को रिहाई आदेश जारी किये गये थे. एकलपीठ ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पीड़ित को मुआवजा देने व मामले की जांच के आदेश जारी किए गए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अरुण विश्वकर्मा ने पैरवी की. (About 4 more years Extra spent in jail) (After completion of sentence not release) (High Court ordered an inquiry) (Also gave three lakh compensation)