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केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर के सुरक्षा संस्थानों के कर्मचारियों ने बनाई रणनीति, जल्द हो सकती है हड़ताल - कर्मचारी स्ट्राइक वैलिड

केंद्रीय सुरक्षा संस्थान में कार्यरत कर्मचारी अपने निगमीकरण को लेकर एक बार फिर हड़ताल पर जा सकते हैं, जुलाई माह में कर्मचारी स्ट्राइक वैलिड पर जाएंगे और उसके बाद कभी भी देशभर की 42 सुरक्षा संस्थानों में काम बंद हो जाएगा.

Employees of security institutions devised strategy
सुरक्षा संस्थानों के कर्मचारियों ने बनाई रणनीति
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Published : Jun 6, 2020, 6:44 AM IST

जबलपुर। देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थान में कार्यरत कर्मचारी एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी में जुट गए हैं. तीनों महासंघ ने इसके लिए तैयारी भी कर ली है. जुलाई माह में कर्मचारी स्ट्राइक वैलिड पर जाएंगे और उसके बाद कभी भी देशभर की 42 सुरक्षा संस्थानों में काम बंद हो जाएगा.

सुरक्षा संस्थानों के कर्मचारियों ने बनाई रणनीति
सुरक्षा संस्थानों का निगमीकरण होने से बचाने के लिए हड़ताल-

देशभर की केंद्रीय सुरक्षा संस्थान जिसकी बागडोर अभी तक रक्षा मंत्रालय के पास थी उनका जल्द ही निगमीकरण हो जाएगा, जिसके बाद सुरक्षा संस्थानों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. लिहाजा इसको लेकर तीनों महासंघ ने एकमत होकर अपनी रणनीति बना ली है और आगामी जुलाई माह में केंद्र सरकार के खिलाफ पहले स्ट्राइक वैलिड कर हड़ताल की जाएगी. ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लॉय फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए अपनी रणनीति का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सुरक्षा संस्थानों का पहले निगमीकरण करेगी और उसके बाद फिर उन्हीं संस्थानों को निजी हाथों में सौंप देगी. आज वर्तमान में देश की 42 आयुध निर्माणी में 82 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है.

केंद्र सरकार पर लगे संगीन आरोप-

राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.एन पाठक की मानें तो केंद्र सरकार को हड़ताल होने के बाद प्रभावित होने वाले उत्पादन से कोई मतलब नहीं है. सरकार तो चाह रही है कि फैक्ट्री बंद हो और फिर उनका हम निजीकरण कर दें. आज देशभर की फैक्ट्री में कच्चे माल की लगातार कमी बनी हुई है, सरकार चाहती तो अब तक कच्चे माल की पूर्ति कर सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. 1965 में भी जब जीसीएफ फैक्ट्री में एल-70 गन बनती थी, तब भी कच्चा माल हवाई जहाज में आता था, लेकिन आज की सरकारों को कच्चे माल को लेकर कोई मतलब नहीं है. जबकि लगातार भारत-चाइना बॉर्डर में युद्ध की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर भारत और चाइना का युद्ध होता तो निश्चित रूप से कच्चे माल की कमी खलेगी.


जुलाई के बाद फिर होगी देशभर के सुरक्षा संस्थानों में हड़ताल-


सिविलियन और रक्षा कर्मचारियों की तीनों फेडरेशन ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लोई फेडरेशन, इंडियन नेशनल डिफेंस वर्क्स फेडरेशन और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने अब केंद्र सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है. आठ माह पहले हुई हड़ताल का हवाला देते हुए, ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लोई फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से पिछले बार 30 दिनों की हड़ताल की घोषणा पर सरकार ने 6 दिनों में ही कर्मचारियों से समझौता कर लिखित में पत्र दिया था और कमेटी भी बनाई थी, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आई नहीं और केंद्र सरकार ने निगमीकरण का ऐलान कर दिया जो कि देशभर के कर्मचारियों के साथ धोखा है, इतना ही नहीं देश के साथ तो गद्दारी तक की गई है.

जबलपुर। देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थान में कार्यरत कर्मचारी एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी में जुट गए हैं. तीनों महासंघ ने इसके लिए तैयारी भी कर ली है. जुलाई माह में कर्मचारी स्ट्राइक वैलिड पर जाएंगे और उसके बाद कभी भी देशभर की 42 सुरक्षा संस्थानों में काम बंद हो जाएगा.

सुरक्षा संस्थानों के कर्मचारियों ने बनाई रणनीति
सुरक्षा संस्थानों का निगमीकरण होने से बचाने के लिए हड़ताल-

देशभर की केंद्रीय सुरक्षा संस्थान जिसकी बागडोर अभी तक रक्षा मंत्रालय के पास थी उनका जल्द ही निगमीकरण हो जाएगा, जिसके बाद सुरक्षा संस्थानों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. लिहाजा इसको लेकर तीनों महासंघ ने एकमत होकर अपनी रणनीति बना ली है और आगामी जुलाई माह में केंद्र सरकार के खिलाफ पहले स्ट्राइक वैलिड कर हड़ताल की जाएगी. ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लॉय फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए अपनी रणनीति का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सुरक्षा संस्थानों का पहले निगमीकरण करेगी और उसके बाद फिर उन्हीं संस्थानों को निजी हाथों में सौंप देगी. आज वर्तमान में देश की 42 आयुध निर्माणी में 82 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है.

केंद्र सरकार पर लगे संगीन आरोप-

राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.एन पाठक की मानें तो केंद्र सरकार को हड़ताल होने के बाद प्रभावित होने वाले उत्पादन से कोई मतलब नहीं है. सरकार तो चाह रही है कि फैक्ट्री बंद हो और फिर उनका हम निजीकरण कर दें. आज देशभर की फैक्ट्री में कच्चे माल की लगातार कमी बनी हुई है, सरकार चाहती तो अब तक कच्चे माल की पूर्ति कर सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. 1965 में भी जब जीसीएफ फैक्ट्री में एल-70 गन बनती थी, तब भी कच्चा माल हवाई जहाज में आता था, लेकिन आज की सरकारों को कच्चे माल को लेकर कोई मतलब नहीं है. जबकि लगातार भारत-चाइना बॉर्डर में युद्ध की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर भारत और चाइना का युद्ध होता तो निश्चित रूप से कच्चे माल की कमी खलेगी.


जुलाई के बाद फिर होगी देशभर के सुरक्षा संस्थानों में हड़ताल-


सिविलियन और रक्षा कर्मचारियों की तीनों फेडरेशन ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लोई फेडरेशन, इंडियन नेशनल डिफेंस वर्क्स फेडरेशन और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने अब केंद्र सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है. आठ माह पहले हुई हड़ताल का हवाला देते हुए, ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लोई फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से पिछले बार 30 दिनों की हड़ताल की घोषणा पर सरकार ने 6 दिनों में ही कर्मचारियों से समझौता कर लिखित में पत्र दिया था और कमेटी भी बनाई थी, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आई नहीं और केंद्र सरकार ने निगमीकरण का ऐलान कर दिया जो कि देशभर के कर्मचारियों के साथ धोखा है, इतना ही नहीं देश के साथ तो गद्दारी तक की गई है.

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