ETV Bharat / state

लॉकडाउन ने छीनी नाच-गाकर कमाने वालों की रोजी-रोटी, मुश्किल में कट रहे दिन - नाच गाकर कमाने वालों की रोजी रोटी

जबलपुर के स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर रेलगाड़ियों में भीख मांगने वालों के सैकड़ों लोगों के डेरे हैं. यह लोग खुद को फकीर जाति का बताते हैं. यह लोग भीख मांगने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं जानते है. इन लोगों का मूल काम रेलगाड़ियों में भीख मांगना है.

Snatched in lockdown
लॉकडाउन में छीना नाच-बजाकर रोटी का जरिया
author img

By

Published : Sep 18, 2020, 10:18 PM IST

जबलपुर। लॉकडाउन और कोरोना वायरस ने समाज के हर तबके को प्रभावित किया है. जबलपुर के स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर ट्रेनों में भीख मांगने वाले सैकड़ों लोगों के डेरे हैं. यह लोग खुद को फकीर जाति का बताते हैं. यह लोग भीख मांगने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं जानते हैं. इन लोगों का मूल काम ट्रेनों में भीख मांगना है. इन लोगों तक सरकार की कोई योजना नहीं पहुंची और ना इन लोगों के कोई रजिस्ट्रेशन हैं. यहां तक की कई लोगों के पास तो आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र तक नहीं है. रेलगाड़ियों में भीख मांगना गैर कानूनी है, लेकिन यह पुलिस वालों से लड़ झगड़कर या उन्हें पैसा देकर भीख मांगते हैं.

लॉकडाउन में छीना नाच-बजाकर रोटी का जरिया

ट्रेन में भीख मांगने वाली होशियार बी बताती हैं कि कोरोना वायरस की वजह से उनके बीच के पांच लोग मारे गए हैं. हालांकि यह लोग भी खुद कोई एहतियात नहीं बरती रहे हैं और न ही कोई सरकारी एजेंसी इनको एहतियात बरतने में मदद कर रही है. होशियार बी का कहना है. लॉकडाउन की वजह से कुछ लोग भूख से मारे गए हैं, क्योंकि ट्रेन बंद थी और सड़क पर निकलना भी बंद था ,ऐसे में उनके पास भोजन के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.

सड़क पर गाता भिखारी

इन लोगों के बीच में कुछ लोग बहुत अच्छे कलाकार भी हैं, हमारी मुलाकात ऐसे ही एक कलाकार से हुई. समीर सिंह का कहना है कि उनके माता-पिता बुजुर्ग हैं और गांव में रहते हैं. परिवार पालने के लिए उन्हें रेल गाड़ियों में गाना बजाना और नाचना ही आता है. लेकिन कमाई का कोई जरिया नहीं है. इसलिए वह गाना गाकर पैसे कमाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी निभाते हैं.

जबलपुर। लॉकडाउन और कोरोना वायरस ने समाज के हर तबके को प्रभावित किया है. जबलपुर के स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर ट्रेनों में भीख मांगने वाले सैकड़ों लोगों के डेरे हैं. यह लोग खुद को फकीर जाति का बताते हैं. यह लोग भीख मांगने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं जानते हैं. इन लोगों का मूल काम ट्रेनों में भीख मांगना है. इन लोगों तक सरकार की कोई योजना नहीं पहुंची और ना इन लोगों के कोई रजिस्ट्रेशन हैं. यहां तक की कई लोगों के पास तो आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र तक नहीं है. रेलगाड़ियों में भीख मांगना गैर कानूनी है, लेकिन यह पुलिस वालों से लड़ झगड़कर या उन्हें पैसा देकर भीख मांगते हैं.

लॉकडाउन में छीना नाच-बजाकर रोटी का जरिया

ट्रेन में भीख मांगने वाली होशियार बी बताती हैं कि कोरोना वायरस की वजह से उनके बीच के पांच लोग मारे गए हैं. हालांकि यह लोग भी खुद कोई एहतियात नहीं बरती रहे हैं और न ही कोई सरकारी एजेंसी इनको एहतियात बरतने में मदद कर रही है. होशियार बी का कहना है. लॉकडाउन की वजह से कुछ लोग भूख से मारे गए हैं, क्योंकि ट्रेन बंद थी और सड़क पर निकलना भी बंद था ,ऐसे में उनके पास भोजन के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.

सड़क पर गाता भिखारी

इन लोगों के बीच में कुछ लोग बहुत अच्छे कलाकार भी हैं, हमारी मुलाकात ऐसे ही एक कलाकार से हुई. समीर सिंह का कहना है कि उनके माता-पिता बुजुर्ग हैं और गांव में रहते हैं. परिवार पालने के लिए उन्हें रेल गाड़ियों में गाना बजाना और नाचना ही आता है. लेकिन कमाई का कोई जरिया नहीं है. इसलिए वह गाना गाकर पैसे कमाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी निभाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.