जबलपुर। लॉकडाउन और कोरोना वायरस ने समाज के हर तबके को प्रभावित किया है. जबलपुर के स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर ट्रेनों में भीख मांगने वाले सैकड़ों लोगों के डेरे हैं. यह लोग खुद को फकीर जाति का बताते हैं. यह लोग भीख मांगने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं जानते हैं. इन लोगों का मूल काम ट्रेनों में भीख मांगना है. इन लोगों तक सरकार की कोई योजना नहीं पहुंची और ना इन लोगों के कोई रजिस्ट्रेशन हैं. यहां तक की कई लोगों के पास तो आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र तक नहीं है. रेलगाड़ियों में भीख मांगना गैर कानूनी है, लेकिन यह पुलिस वालों से लड़ झगड़कर या उन्हें पैसा देकर भीख मांगते हैं.
ट्रेन में भीख मांगने वाली होशियार बी बताती हैं कि कोरोना वायरस की वजह से उनके बीच के पांच लोग मारे गए हैं. हालांकि यह लोग भी खुद कोई एहतियात नहीं बरती रहे हैं और न ही कोई सरकारी एजेंसी इनको एहतियात बरतने में मदद कर रही है. होशियार बी का कहना है. लॉकडाउन की वजह से कुछ लोग भूख से मारे गए हैं, क्योंकि ट्रेन बंद थी और सड़क पर निकलना भी बंद था ,ऐसे में उनके पास भोजन के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.
इन लोगों के बीच में कुछ लोग बहुत अच्छे कलाकार भी हैं, हमारी मुलाकात ऐसे ही एक कलाकार से हुई. समीर सिंह का कहना है कि उनके माता-पिता बुजुर्ग हैं और गांव में रहते हैं. परिवार पालने के लिए उन्हें रेल गाड़ियों में गाना बजाना और नाचना ही आता है. लेकिन कमाई का कोई जरिया नहीं है. इसलिए वह गाना गाकर पैसे कमाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी निभाते हैं.