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ढाई साल की बच्ची के हार्ट में लगाया गया पेसमेकर, मासूम को मिली नई जिंदगी

इंटरवेंशनल एवं पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केएल उमामाहेश्वर, न्यूरो सर्जन डॉ जतिन खेर और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टर आर मिश्रा की टीम ने एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन किया है जो कि जिले में भी पहली बार हुआ है.

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Published : Jun 19, 2019, 2:11 PM IST

ढाई साल की बच्ची के हृदय में लगा पेसमेकर

जबलपुर। शहर के तीन युवा डॉक्टरों की कोशिश रंग लाई है. आखिरकार उन्होंने ढाई साल की बच्ची की सफलतापूर्वक हार्ट सर्जरी कर उसकी जिंदगी बचा ली. हृदय रोग से पीड़ित एक ढाई साल की बच्ची के दिल के भीतर पेसमेकर लगाने में सफलता पाई गई है. डॉक्टरों का मानना है कि विश्वभर में अब तक करीब 300 मामलों में ही इस तरह की सर्जरी की गई है. उन्होंने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश में इतनी कम उम्र के पेशेंट की इस तरह की सर्जरी की गई है.

ढाई साल की बच्ची के हृदय में लगा पेसमेकर


इंटरवेंशनल एवं पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केएल उमामाहेश्वर, न्यूरो सर्जन डॉ जतिन खेर और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टर आर मिश्रा की टीम ने एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन किया. डॉक्टरों की मानें तो ढाई साल की बच्ची के पिता को कुछ समय पहले ही उसकी बीमारी का पता चला था. हृदय का आकार काफी छोटा होने के कारण वंशिका को तकलीफ का भी सामना करना पड़ रहा था.


⦁ बीमारी का पता चलते ही परिजन हुए परेशान
⦁ उपचार में आता है ढाई से तीन लाख का खर्च
⦁ जन्म लेने वाले 22 हजार बच्चों में से किसी एक को होती है ये बीमारी
⦁ कम खर्च पर बच्ची को नई जिंदगी देने की बनाई गई योजना
⦁ एक कंपनी ने कम कीमत पर उपलब्ध कराया पेसमेकर
⦁ तकरीबन 3 से 4 घंटे चला ऑपरेशन

जबलपुर। शहर के तीन युवा डॉक्टरों की कोशिश रंग लाई है. आखिरकार उन्होंने ढाई साल की बच्ची की सफलतापूर्वक हार्ट सर्जरी कर उसकी जिंदगी बचा ली. हृदय रोग से पीड़ित एक ढाई साल की बच्ची के दिल के भीतर पेसमेकर लगाने में सफलता पाई गई है. डॉक्टरों का मानना है कि विश्वभर में अब तक करीब 300 मामलों में ही इस तरह की सर्जरी की गई है. उन्होंने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश में इतनी कम उम्र के पेशेंट की इस तरह की सर्जरी की गई है.

ढाई साल की बच्ची के हृदय में लगा पेसमेकर


इंटरवेंशनल एवं पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केएल उमामाहेश्वर, न्यूरो सर्जन डॉ जतिन खेर और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टर आर मिश्रा की टीम ने एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन किया. डॉक्टरों की मानें तो ढाई साल की बच्ची के पिता को कुछ समय पहले ही उसकी बीमारी का पता चला था. हृदय का आकार काफी छोटा होने के कारण वंशिका को तकलीफ का भी सामना करना पड़ रहा था.


⦁ बीमारी का पता चलते ही परिजन हुए परेशान
⦁ उपचार में आता है ढाई से तीन लाख का खर्च
⦁ जन्म लेने वाले 22 हजार बच्चों में से किसी एक को होती है ये बीमारी
⦁ कम खर्च पर बच्ची को नई जिंदगी देने की बनाई गई योजना
⦁ एक कंपनी ने कम कीमत पर उपलब्ध कराया पेसमेकर
⦁ तकरीबन 3 से 4 घंटे चला ऑपरेशन

Intro:जबलपुर
शहर के तीन युवा डॉक्टरों ने अनूठा प्रयास करते हुए हृदय रोग से पीड़ित एक ढाई साल की बच्ची के दिल के भीतर पेसमेकर लगाने में सफलता पाई है। आमतौर पर गहन मेहनत करते हुए पेसमेकर को हार्ड के ऊपर लगाया।डॉक्टरों का मानना है कि विश्व भर में अब तक करीब 300 मामलों में ही इस तरह की सर्जरी की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश में इस तरह की ये पहली सर्जरी हुई है।


Body:इंटरवेंशनल एवं पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केएल उमामाहेश्वर, न्यूरो सर्जन डॉ जतिन खेर और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टर आर मिश्रा की टीम ने एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन किया है। जो कि जिले में भी पहली बार हुआ है।डॉक्टरों की माने तो ढाई साल की बच्ची के पिता को कुछ समय पहले ही उसकी बीमारी का पता चला।ह्रदय का आकर काफी छोटा होने के कारण वंशिका को तकलीफ का भी सामना करना पड़ रहा था। परिजनों को पता चला कि उपचार में ढाई से तीन लाख का खर्च है तो वह परेशान हो गए।डॉक्टर उमामाहेश्वर ने कहा कि जन्म लेने वाले 22000 बच्चों में से किसी एक को ही यह बीमारी होती है।इसलिए उन्होंने कम खर्च पर बच्ची को नई जिंदगी देने की योजना बनाई।


Conclusion:बच्ची का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर उमामाहेश्वर ने बताया कि एक कंपनी ने वंशिका के परिजन की आर्थिक हालत जानने के बाद काफी कम कीमत पर पेसमेकर उपलब्ध करा दिया।इसके बाद शहर के एक निजी अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में बच्ची के लिए पूरी व्यवस्था की गई। तकरीबन 3 से 4 घंटे के ऑपरेशन में सफलतापूर्वक बच्ची के हृदय के अंदर पेसमेकर लगाया गया। बाइट.1-डॉ के एल उमामहेश्वर...... चिकित्सक
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