जबलपुर(Jabalpur)। आज से लगभग 6 हजार करोड़ साल पहले जबलपुर के आसपास के क्षेत्रों में बड़ी तादाद में डायनासोर पाए जाते थे. जबलपुर के साइंस कॉलेज में एक जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट है. यह भारत के कुछ चुनिंदा जियोलॉजिकल कॉलेज में से एक है. इसके पास कई बेहद खूबसूरत फॉसिल चट्टानें हैं. जबलपुर के पाठ बाबा मंदिर के पास डायनासोर के अंडे मिले हैं .लेकिन देखभाल नहीं होने से अंडे के जीवाश्म खराब हो रहे है. एक पूरा अंडा यहां जीवाश्म के रूप में रखा हुआ है. पास की ही एक पहाड़ी पर कुछ साल पहले डायनासोर का पूरा स्केलेटन मिला था. जिससे राष्ट्रीय जियोलॉजिकल म्यूजियम कोलकाता भेज दिया गया और वहां आज भी यह सुरक्षित है.
जबलपुर के जंगलों में मौजूद हैं जीवाश्म
साइंस कॉलेज के जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ डीके देवलिया के मुताबिक डायनासोर के अंत की एक नई थ्योरी इन दिनों चर्चा में है. वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है की हरबी बोरस डायनासोर जो केवल पेड़ पौधे खाते थे यह काफी बड़े थे, लंबे और चौड़े थे .उस समय भी एक टिड्डी दल ने उन पर हमला किया था और इसी दल ने इन डायनासोर के पैरों को घायल कर दिया था जिसकी वजह से यह फिर चल नहीं पाए और इनकी मौत हो गई थी.
जियोलॉजिकल विषयों पर अध्ययन में सामने आई जीवाश्म मिलने की जानकारी
जियोलॉजिकल विषयों पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज नहीं है लेकिन सही जानकारी है क्योंकि इसके पहले ज्यादातर लोग इस बात के बारे में चर्चा कर रहे थे की डायनासोरों की मृत्यु किसी विषैली गैस के विस्फोट की वजह से हुई. क्योंकि जिस दौर में डायनासोर प्रकृति में विचरण किया करते थे उस समय कई सक्रिय ज्वालामुखी भी थे और हो सकता है कि किसी विषैली गैस ने डायनासोरों की जान ले ली. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है अगर ऐसा होता तो प्रकृति के दूसरे जानवर कैसे जिंदा बच गए.
OBC Reservation पर सुनवाईः HC ने 27% पर रोक बरकरार, आदेश आने तक 14% पर होगी भर्ती
जबलपुर के आसपास चट्टानों में दबे डायनासोर के जीवाश्म
जबलपुर के साइंस कॉलेज के जियोलॉजिकल म्यूजियम में जो अंडा रखा गया है वैसे ही कुछ अंडे शहर के पाट बाबा मंदिर पास चट्टानों में दबे हुए हैं. लेकिन इन्हें निकाला नहीं गया क्योंकि अगर इन्हें निकाला जाता तो यह नष्ट हो जाते. लेकिन इन्हें सुरक्षित भी नहीं रखा गया इस पूरे इलाके में बेहद गंदगी है. इस बात का जिंदा सबूत है कि 6 करोड़ साल पहले भी यहां जीवन था. एक अंडा जो पत्थर में तब्दील हो गया है. प्रकृति के इस अद्भुत नजारे को सुरक्षित नहीं रखा गया है इसे यूं ही बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है.
खुदाई करने पर मिल सकते हैं कई जीवाश्म
पाठ बाबा के आसपास की पहाड़ी पर बारीकी से खुदाई की जाए तो यहां कई डायनासोर और 6 करोड़ साल पुरानी प्रकृति के जीवाश्म मिल सकते हैं लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया.