जबलपुर। देश में आज से नवरात्री पर्व की शुरूआत हो गई है. नौ दिन तक चलने वाले इस उत्सव के लिए आज सुबह से ही जबलपुर के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता देखने मिला. जबलपुर के ऐतिहासिक मंदिरों में पुजारियों ने पूरे विधि-विधान से माता की पूजा-अर्चना की. प्रशासन ने हर मंदिर में कोरोना के चलते विशेष एहतियात बरतने के आदेश दिए हैं, लेकिन आस्था से जुड़े लोग कोरोना को दरकिनार कर मंदिरों में पहुंच रहे हैं.
जबलपुर में दुर्गा उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. शहर में करीब 12 से ज्यादा बड़े मंदिर हैं, जहां लगातार नौ दिनों तक दुर्गा पूजा चलेगी. शहर में ज्यादातर मंदिरों की स्थापना गोंड कालीन राजाओं ने की थी.
ये हैं ऐतिहासिक मंदिर
बूढ़ी खेरमाई का मंदिर सबसे पुराना माना जाता है. यहां सदियों से पूजा-पाठ चली आ रही है. बूढ़ी खेरमाई के बाद हनुमान ताल तालाब के पास बड़ी खेरमाई का मंदिर है. जबलपुर के लिए यह मंदिर किसी तीर्थ से कम नहीं है. जबलपुर का एक और ऐतिहासिक हजारों साल पुराना मंदिर त्रिपुर सुंदरी मंदिर है, जो कलचुरी कालीन बताया जाता है.
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जबलपुर में हैं कई ऐतिहासिक मंदिर
जबलपुर में बरेला के पहाड़ी पर शारदा माता का मंदिर बनाया गया है. इसके अलावा शारदा माता का मंदिर मदन महल पहाड़ी पर भी है. इसे गोंड राजाओं ने बनवाया था और ऐसा कहा जाता है कि रानी दुर्गावती यहां पूजा पाठ करने के लिए आती थीं. तब से यहां पूजा-पाठ का सिलसिला चल रहा है. जबलपुर में इसके अलावा भी हर गली मोहल्ले में छोटे-छोटे दुर्गा मंदिर हैं, जहां आने वाले 9 दिनों तक लगातार पूजा-पाठ का सिलसिला चलेगा.
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प्रशासन ने दी सावधानी की हिदायत
नवरात्री के पहला दिन माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. जबलपुर में जवारे बोने की भी परंपरा है. कोरोना वायरस की वजह से मंदिरों में भीड़ भाड़ ना हो, इसलिए प्रशासन ने लोगों को हिदायत दी है कि कम ही लोग मंदिर जाएं और घरों में ही पूजा पाठ करें, लेकिन परंपरा और आस्था से जुड़े हुए लोग कोरोना वायरस को दरकिनार करते हुए लगातार मंदिरों में पहुंच रहे हैं. इससे वायरस का खतरा बढ़ रहा है.