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दो करोड़ की साइकिलें हुई कबाड़ - साइकिल योजना फेल

शहर में फेल हुआ हेक्सि प्रोजेक्ट. दो करोड़ की साइकिलें हुई कबाड़.

decaying bicycles
दो करोड़ की साइकिलें हुईं कबाड़
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Published : Feb 25, 2021, 10:56 PM IST

जबलपुर । लापरवाही और सही मॉनिटरिंग नहीं होने से अच्छा खासा प्लान भी चौपट हो जाता है. इसकी बानगी देखने को मिली जबलपुर शहर में. यहां दो करोड़ की साइकिलें कबाड़ बन गई हैं. ये साइकिलें लोगों की सेहत सुधारने के लिए जबलपुर स्मार्ट सिटी की ओर से उपलब्ध करवाई गई थीं .

दो करोड़ की साइकिलें हुई कबाड़

कहते हैं सेहत को दुरुस्त रखना है तो साइकिल चलाइए. इसी बात से इंस्पायर होकर तीन साल पहले जबलपुर के प्रशासन ने एक योजना शुरु की थी. स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से शहर में साइकिल को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के समानांतर खड़ा करने की प्लानिंग थी. करार के तहत एक निजी कंपनी ने जबलपुर में करीब 400 साइकिलें पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए उपलब्ध कराईं.

रास नहीं आई साइकिलें

एक अच्छी योजना की मौत !

कुछ दिनों तक सब ठीक चला. बाद में लोगों की लापरवाही के कारण साइकिलें चोरी होने लगीं . कई साइकिलों में तोड़फोड़ कर उनके पार्ट्स बेचने की घटनाएं सामने आईं. साइकिलों का रख रखाव करना कंपनी के लिए मुश्किल हो गया. धीरे-धीरे दो करोड़ रूपए का प्रोजेक्ट खाक में मिल गया. आज हालत ये है कि ये हैक्सी प्रोजेक्ट की ये साइकिलें धूल फांक रही हैं .

फाइलों में रह गई 1100 करोड़ की योजना, राजस्थान के किसान कर रहे बीहड़ों पर खेती


स्मार्ट सिटी के सीईओ की मानें, तो इसमें उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ. सारा इन्वेस्टमेंट कंपनी का था . जबलपुर में एक अच्छा खासा प्रोजेक्ट लापरवाही के कारण पटरी पर आने के पहले ही खत्म हो गया.

जबलपुर । लापरवाही और सही मॉनिटरिंग नहीं होने से अच्छा खासा प्लान भी चौपट हो जाता है. इसकी बानगी देखने को मिली जबलपुर शहर में. यहां दो करोड़ की साइकिलें कबाड़ बन गई हैं. ये साइकिलें लोगों की सेहत सुधारने के लिए जबलपुर स्मार्ट सिटी की ओर से उपलब्ध करवाई गई थीं .

दो करोड़ की साइकिलें हुई कबाड़

कहते हैं सेहत को दुरुस्त रखना है तो साइकिल चलाइए. इसी बात से इंस्पायर होकर तीन साल पहले जबलपुर के प्रशासन ने एक योजना शुरु की थी. स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से शहर में साइकिल को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के समानांतर खड़ा करने की प्लानिंग थी. करार के तहत एक निजी कंपनी ने जबलपुर में करीब 400 साइकिलें पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए उपलब्ध कराईं.

रास नहीं आई साइकिलें

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कुछ दिनों तक सब ठीक चला. बाद में लोगों की लापरवाही के कारण साइकिलें चोरी होने लगीं . कई साइकिलों में तोड़फोड़ कर उनके पार्ट्स बेचने की घटनाएं सामने आईं. साइकिलों का रख रखाव करना कंपनी के लिए मुश्किल हो गया. धीरे-धीरे दो करोड़ रूपए का प्रोजेक्ट खाक में मिल गया. आज हालत ये है कि ये हैक्सी प्रोजेक्ट की ये साइकिलें धूल फांक रही हैं .

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स्मार्ट सिटी के सीईओ की मानें, तो इसमें उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ. सारा इन्वेस्टमेंट कंपनी का था . जबलपुर में एक अच्छा खासा प्रोजेक्ट लापरवाही के कारण पटरी पर आने के पहले ही खत्म हो गया.

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