जबलपुर। पत्नी द्वारा बच्चों को बंधक बनाये जाने का आरोप लगाते हुए पिता ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस विजय कुमार शुल्का की एकलपीठ को याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि पुलिस की मौजूदगी में उन्होंने अपने बच्चों से मुलाकात की. उनकी स्थिति ठीक नहीं है. अनावेदक मां की तरफ से पेश किया गया हलफनामा रिकाॅर्ड में नहीं आने के कारण एकलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 11 जनवरी को निर्धारित की है. एकलपीठ ने आदेश में याचिकाकर्ता को पुलिस की मौजूदगी में बच्चों से मिलने की राहत प्रदान की है.
कलकत्ता निवासी रवीश अषीधर और उनके मां-पिता सहित अन्य दो की तरफ से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी थी. जिसमें कहा गया था कि रवीश की पत्नी पूजा अपने तीन बच्चों के साथ साल 2017 से भोपाल में रहती है. अनावेदिका की लापरवाही के कारण उसके एक बच्चे की मौत 13 नवम्बर 2020 को सेप्टिसेमिया के कारण हो गयी थी. याचिका में कहा गया था कि अनावेदिका बच्चों को बंधक बनाये हुए हैं. उनसे मिलने नहीं देती है. याचिका की सुनवाई करते हुए पूर्व में एकलपीठ ने याचिकाकर्ता पिता को पुलिस और अनावेदिका मां की मौजूदगी में बच्चों से मिलने की अनुमत्ति दी थी.
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पिता की तरफ से बताया गया था कि पूर्व में पारित आदेश के तहत उन्होंने अपने बच्चों से मुलाकात की. दोनों बच्चों की स्थिति ठीक नहीं है. सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया कि अनावेदक मां की तरफ से एक हलफनामा पेश किया गया है,जो रिकाॅर्ड पर नहीं आये हैं. शासकीय अधिवक्ता की तरफ से मामले में दिशा-निर्देश प्राप्त करने की बात कही. सुनवाई के बाद एकलपीठ ने आदेश जारी किए. एकलपीठ ने अनावेदक डीजीपी को निर्देश दिया है कि बच्चों से मुलाकात के लिए वह अपने किसी पास के अधिकारी को नियुक्त करें.