जबलपुर। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी सागर स्कूल प्रबंधन ने कोरोना काल में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क वसूले जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है. अवमानना याचिका में यह भी आरोप लगा गया है कि स्कूल प्रबंधन में शैक्षणिक वर्ष में 40 प्रतिशत फीस वृद्धि की है. फीस जमा करने के लिए अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन प्रताडित कर रहा है. हाई कोर्ट जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने पीड़ित छात्रों के नाम प्रस्तुत करने के लिए याचिकाकर्ता को समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
- स्कूल प्रबंधन ने ट्यूशन फीस के अलावा भी ली फीस
याचिकाकर्ता My Parent Association की तरफ से दायर की गई अवमानना याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए निजी स्कूलों को निर्देशित किया था कि वह कोरोना काल में सिर्फ छात्रों से ट्यूशन फीस ले सकते है. जिन स्कूलों ने अभिभावकों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क लिया है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि ट्यूशन फीस शैक्षणिक सत्र 2019-2020 के अनुसार लिया जाए.
- प्रबंधन ने वसूली ऑनलाइन क्लास फीस
याचिका में कहा गया था कि भोपाल में सागर पब्लिग स्कूल की कई ब्रांच है. उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस के अलावा टांसपोर्ट फीस, ऑन-लाईन क्लास फीस अभिभावकों से वसूल रहा है. स्कूल प्रबंधन ने फीस जमा करने के लिए फोन कर अभिभावकों को प्रताड़ित किया जा रहा है. स्कूल प्रबंधन बच्चों को नाम काटने और टीसी जारी नहीं करते की धमकी देते है. फीस जमा नहीं करने पर छात्रों को परीक्षा में बैठने नहीं देते है, छात्र परीक्षा में बैठते है तो उनका रिजल्ट जारी नहीं करते है. याचिका में स्कूल प्रबंधन के चेयरमैन सुधीन अग्रवाल सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया था.
- शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
याचिका में हुई पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अनावेदक की तरफ से कहा गया था कि याचिका के साथ एक भी छात्र का नाम प्रस्तुत नहीं किया गया है. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया था कि संबंधित अधिकारी को याचिका में अनावेदक बनाए और पीड़ित छात्रों के नाम न्यायालय में प्रस्तुत करें. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को छात्रों के नाम प्रस्तुत करने के लिए समय प्रदान किया है.