जबलपुर। कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी के साथ राजा पटेरिया की तरफ से दायर जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था. दूसरे आवेदन की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने उन्हें जमानत का लाभ प्रदान किया है. प्रधानमंत्री पर अशोभनीय टिप्पणी करने तथा अल्पसंख्यकों को धर्म व जाति के नाम पर उकसाने के अपराध में पन्ना के पवई थाने में कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने 13 दिसंबर को उन्हें गिरफतार किया था. पवई कोर्ट तथा ग्वालियर जिले की विशेष (एमपी-एमएलए) कोर्ट से उनकी जमानत खारिज खारिज हो गयी थी. इसके बाद उन्होने हाईकोर्ट की शरण ली थी.
शासन ने किया था जमानत का विरोध : हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में दायर जमानत याचिका सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में ट्रांसफर कर दी गई थी. याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ को बताया गया था कि आवेदक के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई हैं, उसमें कोई तथ्य नहीं हैं. राजनीतिक दुर्भावना के कारण उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है, जो सीडी पेश की गयी है, उसमे छेड़छाड़ की गयी है. आवेदक ने जो वक्तव्य दिया था, उसी में मंतव्य भी स्पष्ट कर दिया था. उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था. वहीं शासन की ओर से जमानत का विरोध किया गया.
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दूसरी याचिका पर सुनवाई : एकलपीठ ने 11 जनवरी याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा था कि जमानत आवेदन पर सीडी का परीक्षण व उसकी शुद्धता पर विचार करना उचित नहीं होगा. जेल में बंद अवधि को देखते हुए जमानत प्रदान करने से समाज में गलत संदेश जायेगा. इस प्रकार याचिका खारिज कर दी थी. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी थी कि कि वह 30 दिन बाद पुनः जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं. हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद कांग्रेस नेता की तरफ से जमानत के लिए दूसरा आवेदन पेश किया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने पैरवी की.