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ऑटो रिक्शा मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लगाई फटकार, कहा- किसी और एजेंसी को सौंपे क्या आपका काम

ऑटो रिक्शा चालक द्वारा ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करने पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (mp chief justice) रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष ट्रांसपोर्ट कमीश्नर (mp transport commissioner) वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. युगलपीठ ने बिना परमिट चल रहे ऑटो पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को जमकर फटकार लगाई.

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Published : Nov 23, 2021, 2:23 PM IST

जबलपुर। ऑटो रिक्शा चालक (mp auto rikshaw driver) द्वारा सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने तथा यातायात नियमों का पालन नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका (public interest litigation) दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (mp chief justice) रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष ट्रांसपोर्ट कमीश्नर (mp transport commissioner) वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. युगलपीठ ने बिना परमिट चल रहे ऑटो पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को जमकर फटकार लगाई. युगलपीठ ने तल्ख शब्दों में कहा कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्रवाई नहीं कर सकते तो किसी दूसरी एजेन्सी को नियुक्त कर दें.

जान के साथ खिलवाड़ कर रहे ऑटो चालक
बता दें कि सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर याचिकाओं में शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है. सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सड़क में कभी भी वाहन रोक देते हैं. शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है.

याचिका पर सरकार ने रखा अपना पक्ष
याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ऑटो संचालन के विनिथामक प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा, जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन से लिंक होगा. इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवाहन प्राधिकारियों, तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किये गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमीट जारी नहीं किया जायेगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में प्रतिस्थापित किया जायेगा.

बलात्कार का आरोप लगाने वाली नाबालिग बयान से पलटी, हाईकोर्ट ने लड़की के खिलाफ केस चलाने के दिए आदेश

याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पिछले आठ सालों में अवैध रूप से संचालित ऑटो रिक्शा पर कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की. युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रति सप्ताह कम्पलाईस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने प्रत्येक सोमवार को सर्वप्रथम उक्त याचिका को लिस्ट करने के आदेश भी जारी किये हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अमित पटैल ने पैरवी की.

जबलपुर। ऑटो रिक्शा चालक (mp auto rikshaw driver) द्वारा सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने तथा यातायात नियमों का पालन नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका (public interest litigation) दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (mp chief justice) रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष ट्रांसपोर्ट कमीश्नर (mp transport commissioner) वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. युगलपीठ ने बिना परमिट चल रहे ऑटो पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को जमकर फटकार लगाई. युगलपीठ ने तल्ख शब्दों में कहा कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्रवाई नहीं कर सकते तो किसी दूसरी एजेन्सी को नियुक्त कर दें.

जान के साथ खिलवाड़ कर रहे ऑटो चालक
बता दें कि सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर याचिकाओं में शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है. सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सड़क में कभी भी वाहन रोक देते हैं. शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है.

याचिका पर सरकार ने रखा अपना पक्ष
याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ऑटो संचालन के विनिथामक प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा, जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन से लिंक होगा. इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवाहन प्राधिकारियों, तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किये गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमीट जारी नहीं किया जायेगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में प्रतिस्थापित किया जायेगा.

बलात्कार का आरोप लगाने वाली नाबालिग बयान से पलटी, हाईकोर्ट ने लड़की के खिलाफ केस चलाने के दिए आदेश

याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पिछले आठ सालों में अवैध रूप से संचालित ऑटो रिक्शा पर कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की. युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रति सप्ताह कम्पलाईस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने प्रत्येक सोमवार को सर्वप्रथम उक्त याचिका को लिस्ट करने के आदेश भी जारी किये हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अमित पटैल ने पैरवी की.

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