जबलपुर। लंबे समय से बीमार चल रही हथनी 'चंचल' की इलाज के दौरान रविवार को मौत हो गई. चंचल को अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचे. लोगों ने नम आंखों से चंचल को अंतिम विदाई दी. बता दें कि जबलपुर में आयोजित बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हथनी चंचल छतरपुर से जबलपुर आई थी. लंबी यात्रा और झुलसा देने वाली गर्मी की वजह से हथनी चंचल की तबीयत खराब हुई थी, जिसके बाद से ही 50 साल की हथनी चंचल का इलाज जबलपुर में ही चल रहा था.
50 साल की हथनी की मौत: वेटरनरी विश्वविद्यालय के वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक साइंस के डॉक्टरों की निगरानी में हथनी चंचल का लगातार इलाज किया जा रहा था. सतपुला स्थित एक खुले मैदान में हथनी चंचल का इलाज चल रहा था, जहां रविवार की सुबह उसने दम तोड़ दिया. डॉक्टरों की जांच में यह बात सामने आई है कि डीहाइड्रेशन और यूरिन इन्फेक्शन की बीमारी से हथनी जूझ रही थी और डॉक्टरों के द्वारा इसी का इलाज किया जा रहा था. भीषण गर्मी भी हथनी चंचल के इलाज में बड़ी परेशानी बनी हुई थी. (female elephant chanchal died in Jabalpur)
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डेढ़ महीने से चंचल थी बीमार: जबलपुर के घमापुर थाना इलाके के सतपुला बाजार के सभी खुले मैदान में करीब 1 माह तक चले इलाज के बाद हथनी ने दम तोड़ दिया. दरअसल जबलपुर के पनागर में भाजपा विधायक सुशील तिवारी इंदू द्वारा 24 मार्च से बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा कराई गई थी. इसी कथा में शामिल होने के लिए हथनी चंचल को भी बुलाया गया था, जिसे लेकर महावत गोविंद जबलपुर पहुंचे थे. 26 मार्च को शोभायात्रा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की समाप्ति के बाद महावत गोविंद चंचल को लेकर वापसी के लिए रवाना हुए थे कि तभी कुंडम के पास हथनी चंचल की हालत बिगड़ने लगी. इसके बाद उसने वेटरनरी के डॉक्टरों को इसकी सूचना दी. तब से ही लगातार चंचल का इलाज किया जा रहा था. डेढ़ महीने से भी ज्यादा वक्त तक चले इलाज के बाद रविवार की तड़के चंचल ने आखिरी सांस ली. चंचल की मौत के बाद उसे सतपुला के ही खुले मैदान में दफन करते हुए उसका अंतिम संस्कार किया गया.