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जबलपुर का विक्टर परिवार...150 सालों से देसी भट्टी में बनाता है केक

आज देशभर में क्रिसमस की धूम है, सभी गिरिजाघरों को रंग बिरंगी लाइटों से सजा दिया गया है, हालांकि इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी ध्यान रखा गया है. वहीं जबलपुर में क्रिसमस के मौके पर विक्टर की दुकान पर केक बनवाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है, क्योंकि विक्टर ऑटोमेटिक ओवन नहीं बल्कि परंपरागत तरीके से केक तैयार करते हैं.

Cake is made in the traditional way in the bakery of Jabalpur
केक
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Published : Dec 25, 2020, 10:26 AM IST

Updated : Dec 25, 2020, 4:32 PM IST

जबलपुर। आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले गोवा से विक्टर फैमिली जबलपुर आई थी, इन लोगों ने यहां पर परंपरागत तरीके से केक बनाने का काम शुरू किया था. आज भी इस परिवार में केक बनाने का काम होता है, हालांकि इनकी कोई दुकान नहीं है, लेकिन लोग घर पर ही इनसे केक बनवाने के लिए सामान लेकर पहुंचते हैं.

बेकरी पर बनाया जाता है परंपरागत केक

देसी भट्टी में बनता है केक

यूं तो बाजार में गैस से चलने वाली बिजली से चलने वाली और तेल से चलने वाली कई भटियां आ गई है, ऑटोमेटिक ओवन आ गए हैं, लेकिन इसके बावजूद जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में देसी भट्टी में ही केक पकाया जाता है. देसी ओवन को ईंट की दीवार से बनाया जाता है, नीचे पत्थर लगाए जाते हैं. पूरे ओवन में पहले आग जलाई जाती है. जब अंदर पत्थर और ईंट गर्म हो जाती है. तब इसमें केक को पकने के लिए रखा जाता है. यह केक लगभग ढाई घंटे तक पकता है, इसलिए इसका स्वाद बाजार के दूसरे नरम केक से अलग होता है.

Churches decorated with colorful lights
रंग बिरंगी लाइटों से सजाए गए चर्च

लोग घरों से लाते हैं सामान

क्रिसमस पर यीशु मसीह को मानने वाले केक काटते हैं और परिवार और रिश्तेदारों में यह केक बांटा जाता है. इसलिए लोगों को ज्यादा केक की जरूरत पड़ती है, यही वजह है कि विक्टर के ओवन में इन दिनों में जगह नहीं रहती. लोग मैदा, ड्राई फ्रूट्स, शक्कर और मक्खन लेकर विक्टर के घर पहुंचते हैं. जिसे विक्टर एक खूबसूरत केक में बदल देता है.

वाइन केक

इसके अलावा एक वाइन केक भी बनाया जाता है. इसमें ड्राई फ्रूट्स को पानी में डुबोकर रखा जाता है. इसके बाद इन्हें केक में डाल दिया जाता है. विक्टर कहते हैं कि वह एक बहुत अच्छा प्रिजर्वेटिव है और वाइन केक को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. लोग शौक से यह केक बनवाते हैं.

जबलपुर के अलावा आसपास के शहरों से भी स्पेशल केक बनवाने के लिए लोग यहां आते हैं और इस लजीज स्वाद को महसूस करते हैं. जिसकी शुरुआत आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले हुई थी.

जबलपुर। आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले गोवा से विक्टर फैमिली जबलपुर आई थी, इन लोगों ने यहां पर परंपरागत तरीके से केक बनाने का काम शुरू किया था. आज भी इस परिवार में केक बनाने का काम होता है, हालांकि इनकी कोई दुकान नहीं है, लेकिन लोग घर पर ही इनसे केक बनवाने के लिए सामान लेकर पहुंचते हैं.

बेकरी पर बनाया जाता है परंपरागत केक

देसी भट्टी में बनता है केक

यूं तो बाजार में गैस से चलने वाली बिजली से चलने वाली और तेल से चलने वाली कई भटियां आ गई है, ऑटोमेटिक ओवन आ गए हैं, लेकिन इसके बावजूद जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में देसी भट्टी में ही केक पकाया जाता है. देसी ओवन को ईंट की दीवार से बनाया जाता है, नीचे पत्थर लगाए जाते हैं. पूरे ओवन में पहले आग जलाई जाती है. जब अंदर पत्थर और ईंट गर्म हो जाती है. तब इसमें केक को पकने के लिए रखा जाता है. यह केक लगभग ढाई घंटे तक पकता है, इसलिए इसका स्वाद बाजार के दूसरे नरम केक से अलग होता है.

Churches decorated with colorful lights
रंग बिरंगी लाइटों से सजाए गए चर्च

लोग घरों से लाते हैं सामान

क्रिसमस पर यीशु मसीह को मानने वाले केक काटते हैं और परिवार और रिश्तेदारों में यह केक बांटा जाता है. इसलिए लोगों को ज्यादा केक की जरूरत पड़ती है, यही वजह है कि विक्टर के ओवन में इन दिनों में जगह नहीं रहती. लोग मैदा, ड्राई फ्रूट्स, शक्कर और मक्खन लेकर विक्टर के घर पहुंचते हैं. जिसे विक्टर एक खूबसूरत केक में बदल देता है.

वाइन केक

इसके अलावा एक वाइन केक भी बनाया जाता है. इसमें ड्राई फ्रूट्स को पानी में डुबोकर रखा जाता है. इसके बाद इन्हें केक में डाल दिया जाता है. विक्टर कहते हैं कि वह एक बहुत अच्छा प्रिजर्वेटिव है और वाइन केक को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. लोग शौक से यह केक बनवाते हैं.

जबलपुर के अलावा आसपास के शहरों से भी स्पेशल केक बनवाने के लिए लोग यहां आते हैं और इस लजीज स्वाद को महसूस करते हैं. जिसकी शुरुआत आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले हुई थी.

Last Updated : Dec 25, 2020, 4:32 PM IST
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