जबलपुर। बुधवार को जबलपुर हाईकोर्ट में भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनार्वास मामले को लेकर सुनवाई हुई. इसके साथ ही रेन-वाॅटर-हार्वेस्टिंग की चिंता पर लगी याचिका पर सुनवाई की गई, जिसमें कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी है.
भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनार्वास मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार को दिए गए हाईकोर्ट के निर्देश का पालन न होने के मामले में लगी अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट में कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने सुनवाई की. इसमें युगलपीठ के समक्ष केन्द्र सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव वीडियों कॉफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए और बीएमएचआरसी को आईसीएमआर में परिवर्तित किए जाने के संबंध में परिपालन रिपोर्ट पेश की, जिसके याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को परिपालन रिपोर्ट में जवाब पेश करने के निर्देष दिए हैं. याचिका पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.
सर्वोच्च न्यायालय ने साल- 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को निर्देशित किया था कि, वो इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठन करें. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करे, जिसके आधार पर हाईकोर्ट राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगी.
मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का राज्य सरकार द्वारा परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई थी. दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि, सर्वोच्चय न्यायालय द्वारा जारी निदेर्शों का परिपालन केन्द्र व राज्य सरकार नहीं कर रही हैं. गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. इसके अलावा अस्पतालों में अवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं है. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम निर्धारित होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते.
रेन-वाॅटर-हार्वेस्टिंग मामले पर दिया सरकार को समय
रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग के निर्धारित नियमों का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि, रेन-वाॅटर हार्वेस्टिंग नहीं किए जाने के कारण भूमि के जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने इसमे सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा था, जवाब पेश करने के लिए सरकार ने समय मांगा था, जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने अगली तारीख 23 अक्टूबर निर्धारित की है.
अधिवक्ता आदित्य सांघी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि, संविधान की धारा 21 के तहत लोगों को राइट टू लाइफ का अधिकार मिला है. जीवन के लिए जल बहुत जरूरी है, लेकिन प्रदेश में भूमि का जल स्तर 5 सौ मीटर नीचे तक पहुंच गया है. प्रदेश के कई जिलों में लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
याचिका में कहा गया है कि, भूमि विकास नियम के तहत रेन-वाॅटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर ही मकान का नक्सा स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है. नियम का कड़ाई से पालन नहीं किए जाने के कारण जबलपुर शहर में ही बारिश के मौसम में अरबों लीटर पानी नाले-नाली के माध्यम से व्यर्थ हो जाता है. यह स्थिति पूरे प्रदेश की है. नगर निगम रेन-वाॅटर हार्वेस्टिंग के लिए निर्धारित शुल्क लेती है परंतु यह सिर्फ कागजों तक में सीमित है. याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार को अनावेदक बनाया गया है.