जबलपुर। बक्सावाहा के जंगल में मिली रॉक पेटिंग पाषाण युग और मानव इतिहास के पूर्व काल की है. इस बात का खुलासा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से हुआ है. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार रॉक पेंटिग के अलावा कुशमार गांव में मिली मूर्तियां भी पाषाण युग की है. गांव के खेरमाता फार्म में बड़ी संख्या में मूर्तियां मिली है, जो चंदेल और कल्चुरी काल की है. हाईकोर्ट में इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बक्सवाहा के जंगलों में माइनिंग पर तत्काल रोक लगाने के लिए आवेदन पेश किया है.
NGT में दाखिल की थी याचिका
बता दें कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाथ पांडे ने बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान आवंटित किये जाने के खिलाफ एनजीटी में याचिका दायर की थी. इस सिलसिले में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने बक्सवाहा के जंगल का सर्वे किया था. जिसकी रिपोर्ट के अनुसार मानव इतिहास पूर्व की चीजें इस क्षेत्र के पाई गई है.
जंगल में मिली 3 रॉक पेंटिंग
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में पाया गया है कि यहां तीन जगहों पर प्री-हिस्टोरिक रॉक पेटिंग पाई गयी है. पहली रॉक पेंटिंग अस्पष्ट है. जो लाल रंग से बनाई गयी है. दूसरी पेटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की है, जो लाल रंग और चारकोल से बनाई गयी है. तीसरी पेटिंग मानव इतिहास के पूर्व समय की है, यह लाल रंग से बनी है और इसमें युद्ध के चित्र उकेरे गये हैं.
ASI की टीम ने किया था सर्वे
आर्कियोलॉजिकल विभाग के डॉ. सुनील नयन के नेतृत्व में यह सर्वे 10 से 12 जुलाई के बीच किया गया था. जिस पर आवेदक की ओर से एक आवेदन हाईकोर्ट में पेश किया गया है. जिसमें कहा गया है कि सर्वे से यह स्पष्ट हुआ है कि यह पुरातात्विक संपदा अमूल्य है, लेकिन वक्सवाहा जंगल में प्रदान की गई डायमंड माइनिंग से ये पुरातात्विक संपदा नष्ट होने का खतरा है. इसलिए पुरातात्विक कानून 1958 के तहत इस क्षेत्र को संरक्षित किए जान और माइनिंग पर रोक लगाने की मांग की.
हाईकोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट
आवेदक ने जानकारी देते हुए बताया कि वक्सवाहा जंगल को लेकर एक जनहित याचिका उनकी ओर से हाईकोर्ट में भी दायर की गई है. जिसमें आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वे कराये जाने की प्रार्थना की गई थी. उक्त मामले में न्यायालय ने सरकार से चार सप्ताह में स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने पैरवी की.