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असामाजिक तत्वों का अड्डा बना आंगनबाड़ी केन्द्र, अनैतिक गतिविधियों को लेकर प्रख्यात

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Published : Dec 16, 2019, 8:54 PM IST

जबलपुर के शहपुरा क्षेत्र के आंगनबाड़ी भवन आए दिन असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है. जिसके चलते आंगनबाड़ी के बच्चे स्कूल में चले जाते हैं

Anganwadi center becomes the base of anti-social elements
असामाजिक तत्वों का अड्डा बना आंगनबाड़ी केन्द्र

जबलपुर। शहपुरा की ग्राम पंचायत डोंगर झांसी के छापर गांव में एक आंगनबाड़ी भवन में अमावस्या और पूर्णिमा के मौके पर तांत्रिक पूजा होती है. 15 साल पहले बनाया गया यह आंगनबाड़ी भवन अनैतिक गतिविधियों को लेकर प्रख्यात है. कभी इस भवन में बाबाओं का जमावड़ा रहता है तो कभी जुआरियों का. वहीं शराबी भी इसे सबसे महफूज स्थान समझते हैं.

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना आंगनबाड़ी केन्द्र

पांच लाख की लागत से बनें भवन में आंगनबाड़ी संचालित न होकर प्राथमिक स्कूल में संचालित हो रही है. जिससे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि कक्षा एक से पांच तक स्कूल में बच्चों की संख्या 51 है. ऐसे में 20 बच्चों आंगनबाड़ी के भी स्कूल में पहुंच जाते हैं. बहरहाल पूरे मामले में कलेक्टर भरत यादव ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. देखना यह होगा कि 15 सालों से स्कूल में संचालित हो रही आंगनबाड़ी को अपना भवन कब मिलता है.

जबलपुर। शहपुरा की ग्राम पंचायत डोंगर झांसी के छापर गांव में एक आंगनबाड़ी भवन में अमावस्या और पूर्णिमा के मौके पर तांत्रिक पूजा होती है. 15 साल पहले बनाया गया यह आंगनबाड़ी भवन अनैतिक गतिविधियों को लेकर प्रख्यात है. कभी इस भवन में बाबाओं का जमावड़ा रहता है तो कभी जुआरियों का. वहीं शराबी भी इसे सबसे महफूज स्थान समझते हैं.

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना आंगनबाड़ी केन्द्र

पांच लाख की लागत से बनें भवन में आंगनबाड़ी संचालित न होकर प्राथमिक स्कूल में संचालित हो रही है. जिससे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि कक्षा एक से पांच तक स्कूल में बच्चों की संख्या 51 है. ऐसे में 20 बच्चों आंगनबाड़ी के भी स्कूल में पहुंच जाते हैं. बहरहाल पूरे मामले में कलेक्टर भरत यादव ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. देखना यह होगा कि 15 सालों से स्कूल में संचालित हो रही आंगनबाड़ी को अपना भवन कब मिलता है.

Intro:
बच्चों के लिए बनाए गए आंगनबाड़ी भवन में तांत्रिक पूजा यह शीर्षक पढ़कर थोड़ा अजीब और आश्चर्य लग रहा है, लेकिन यह बात सच। Body:शहपुरा जनपद की ग्राम पंचायत डोंगर झांसी के गांव छापर में एक आंगनबाड़ी भवन में तांत्रिक पूजा होती है, आमावस्या और पूर्णिमा के मौके पर खंडहर पड़े आंगनबाड़ी भवन में अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए तांत्रिक पूजा की जाती है और इसके सबके पीछे का मुख्य कारण आंगनबाड़ी में बच्चों को न आने देना है। स्कूली बच्चों के लिए 15 साल पहले दो कमरा युक्त बनाया गया आंगनबाड़ी भवन अनैतिक गतिविधियों को लेकर प्रख्यात हो चुका है। कभी इस भवन में बाबाओं का जमावड़ा रहता है तो कभी जुआरी, सटोरिये तो कभी शराबियों के लिए महफूज स्थान बना रहता है।

छापर प्राथमिक स्कूल में संचालित हो रही आंगनबाड़ी :-
आंगनबाड़ी बच्चों का इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे क्योंकि 5 लाख की लागत से 15 साल पहले तैयार किए गए भवन में उन्हें बैठने नहीं मिल रहा है।छापर प्राथमिक स्कूल में आंगनबाड़ी के 20 बच्चे रोजाना पहंुचते हैं तो पर उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि दो कमरे वाले स्कूल में कक्षा एक से लेकर पांच तक 51 बच्चे दर्ज है इस स्थिति में आंगनबाड़ी के 20 बच्चे और स्कूल पहंुच जाते हैं जिसकी वजह से स्कूल में जगह कम पड़ जाती है। इस वजह से आंगनबाड़ी बच्चों को बाहर खड़ा करना पड़ता है।

बाइट - चतुर सिंह ग्रामीण
बाइट - भरत यादव कलेक्टर जबलपुरConclusion:बहरहाल पूरे मामले में कलेक्टर भरत यादव ने जांच कर कार्यवाही का अस्वाशन तो दे दिया लेकिन अब देखना यह होगा कि 15 सालो से स्कूल में संचालित हो रही आंगनवाड़ी को अपना भवन मिलता है कि नही।
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