जबलपुर। भारत का एकमात्र तांत्रिक मंदिर बाजना मठ सदियों से आस्था का केंद्र है. जबलपुर में स्थित इस तांत्रिक मंदिर में आज भी साधक साधना करने यहां आते हैं. जबलपुर की मदन महल पहाड़ियां और गढ़ा इलाका सदियों पहले भी एक समृद्ध शहर रहा होगा, क्योंकि इस पूरे इलाके में कई बावड़ियां, तालाब और रहस्यमई मंदिर है. इन्हीं में से बाजना मठ एक है.
जबलपुर से तिलवारा घाट की ओर जाते हुए मेडिकल कॉलेज के पास बाजना मठ नाम का एक स्थान है. सड़क से 200 मीटर भीतर पहाड़ी पर एक मंदिर बना हुआ है. मंदिर के ठीक सामने एक बहुत बड़ा तालाब है. इस तालाब को संग्राम सागर के नाम से जाना जाता है. वहीं इस मंदिर को बाजना मठ के नाम से जाना जाता हैय लोगों का कहना है कि इस मंदिर के निर्माण की सही-सही तारीख किसी को पता नहीं है. इसे किसने बनाया था कब बनाया था हालांकि नगर निगम ने कुछ जानकारी लेकर इसके निर्माण को 1500 ईसवीं के आसपास का बताया है, लेकिन यह इसके निर्माण की सही तारीख नहीं है, बल्कि ऐसा लगता है कि हम उससे भी पहले जब यहां कलचुरी काल और गोंडवाना काल रहा होगा तब बनाया गया होगा.
मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है, हालांकि इसका रंग रोगन कर दिया गया है लेकिन इसमें अभी भी प्राचीन काल के कई अवशेष बाकी है. मंदिर से खड़े होकर जब नीचे की तरफ देखा जाता है, तो खूबसूरत संग्राम सागर का नजारा देखते बनता है यह तीन तरफ से पहाड़ी से गिरा हुआ है.
तांत्रिक पीठ
मंदिर के भीतर काल भैरव की मूर्ति है. इसी की वजह से यहां लोग तांत्रिक साधना करने आते हैं और मंगलवार और शनिवार को यहां तांत्रिक साधना करने वालों की भीड़ बनी रहती है. इसके अलावा भी लोग अपनी मान्यता पूरी करवाने के लिए यहां आते हैं और भक्तों का तांता लगा रहता है. मंदिर से जुड़े हुए एक पुजारी का कहना है काल भैरव के दो ही मंदिर हैं एक उज्जैन में है और दूसरा जबलपुर में और यह एकमात्र तांत्रिक मंदिर है. ऐसा दावा किया जाता है कि दूसरा कोई तांत्रिक मंदिर भारत में इसके अलावा नहीं है और इसकी धार्मिक मान्यता केवल जबलपुर में नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी है और लोग दूर-दूर से यहां तांत्रिक साधना करने के लिए सामान्य दिनों में और दीपावली के आसपास आते हैं.
लेकिन रखरखाव के अभाव में यहां मंदिर कमजोर हो रहा है. आसपास में बड़ी तादाद में गंदगी बनी रहती है और कुछ लोगों ने इसे पैसा कमाने का जरिया बना लिया है नगर निगम, पुरातत्व विभाग और सरकार इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए इतिहास की एक खूबसूरत इमारत और एक धार्मिक केंद्र हाशिए पर पड़ा हुआ है.