जबलपुर। सिहोरा तहसील में एक बड़ा हादसा टल गया. हादसे की जद में आने से 35 बस सवार बच गए. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सामने से रेलगाड़ी आ रही तभी ट्रैक पार कर रही एक बस अचानक ट्रैक पर फंस गई. सामने से मौत के रूप में दौड़ती आ रही रेलगाड़ी देख बस सवार घबरा कर नीचे उतरने लगे. लेकिन आधुनिक रेलवे ट्रैक में मौजूद सेफ्टी फीचर्स ने समय पर एक्ट किया और लोगों के प्राण बच गए. इन सेफ्टी फीचर्स की वजह से बड़ा हादसा तो टल गया लेकिन पुरानी बसों को सड़क पर दौड़ाने को लेकर कई सवाल छोड़ गया.
दरअसल, सिहोरा रोड रेलवे स्टेशन के पहले फाटक पर जयसवाल ट्रेवल्स की यात्री बस पटरी पर पहुंचकर खराब हो गई. उस समय बस में लगभग 35 यात्री बैठे हुए थे और बस के बंद होने के तुरंत बाद रेलवे का फाटक भी बंद हो गया. इसके चलते यात्री घबरा गए और आनन-फानन में लोगों ने बस से उतरना शुरू कर दिया.
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और सेफ्टी फीचर्स से बच गई जान
आधुनिक रेलवे फाटक में ट्रैक के दोनों ओर 500 मीटर पर सिग्नल लगे होते हैं. अगर यह सिग्नल ग्रीन नहीं होते तो ट्रेन आगे नहीं बढ़ती. बस की वजह से एक तरफ का बैरियर ही लग पाया था और दूसरी तरफ का बैरियर खुला हुआ था. सिग्नल रेड ही रहा और कटनी की ओर से आने वाली रेलगाड़ी रुक गई. इसके बाद बस को हटाया गया लेकिन तब तक दोनों तरफ से जाम के हालात बन गए थे.
कोई हादसा नहीं हो पाया और समस्या टल गई
रेलवे सेफ्टी फीचर्स ने लोगों की जान बचा ली. लेकिन इसके साथ ही प्रशासनिक अव्यवस्था की पोल भी खोल दी. सवाल ट्रांसपोर्ट विभाग की कार्यशैली पर उठता है जो पुरानी कबाड़ बसों को सड़क पर दौड़ाने की इजाजत दे देता है. साफ है कि आरटीओ की लापरवाही से कभी भी लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. वो इसलिए भी क्योंकि इन बसों को अपना फिटनेस सर्टिफिकेट देना होता है और अगर ये न मिले तो बसें सड़कों पर नहीं दिख सकतीं. लेकिन जब फिटनेस सर्टिफिकेट कागजों पर बन जाए तो हादसों को तो कभी भी न्योता मिल सकता है.